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राहुल ने कहा- कश्मीर को तोड़कर नहीं हो सकती राष्ट्रीय एकता, लोकसभा में तिवारी ने फैसले को बताया संवैधानिक त्रासदी

मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा या विधान परिषद का मतलब यह संसद नहीं है। तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान है, जो 1957 को लागू हुआ था, क्या अब प्रदेश के बंटवारे के बाद उस संविधान को खारिज करने का बिल भी मोदी सरकार लेकर आएगी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर कई ऐसी बातें सदन के सामने रखीं, जिससे मोदी सरकार असहज नजर आई। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक त्रासदी है। तिवारी ने कहा कि प्रजातांत्रिक उसूलों का हनन करके मोदी सरकार यह बिल लेकर आई है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि धारा तीन के तहत अगर केंद्र किसी राज्य के दो टुकड़े करती है या उसकी सीमाओं में कोई बदलाव करती है तो उसे विधानसभा से राय मशविरा करना होगा। उन्होंने कहा कि इस वक्त जम्मू-कश्मीर का विधानसभा भंग है। नेताओं को नजरबंद किया गया है। ऐसे में बिना विधानसभा की इजाजत के धारा 370 को हटाना और इस बिल को लाना असंवैधानिक है।

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मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा या विधान परिषद का मतलब यह संसद नहीं है। तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान है, जो 1957 को लागू हुआ था, क्या अब प्रदेश के बंटवारे के बाद उस संविधान को खारिज करने का बिल भी मोदी सरकार लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यह बिल लाया जाना संघीय ढांचे के ऊपर इससे बड़ी संवैधानिक त्रासदी नहीं हो सकती।

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मनीष तिवारी ने कहा कि जिस जम्मू-कश्मीर का श्रेय आज मोदी सरकार और बीजेपी ले रही है। वह पंडित नेहरू की सरकार की वजह से है। उन्होंने कहा कि आज अगर जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है तो उसके पीछे पंडित नेहरू ही वजह थे। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह सदन में खड़े हुए, उन्होंने कहा कि कांग्रेस बताए कि वह धारा 370 के पक्ष में हैं या इसके खिलाफ हैं। इस पर तिवारी ने कहा कि बगैर जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की मंजूरी के धारा 370 को खारिज नहीं किया जा सकता।

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वही राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “जम्मू-कश्मीर को तोड़कर राष्ट्रीय एकता नहीं हो सकती। चुने हुए प्रतिनिधियों को कैद करके और हमारे संविधान का उल्लंघन कर के राष्ट्रीय एकता को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। इस देश को यहां के लोगों ने बनाया है न कि जमीन के टुकड़ों द्वारा यह बना है। कार्यकारी शक्ति के दुरुपयोग से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।”

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल राज्यसभा से सोमवार को पारित हो गया था। अब इस बिल को सरकार लोकसभा में लेकर आई है, जिस पर चर्चा की जा रही है।

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