पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश के सीमा प्रहरी बीएसएफ जवानों ने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था, जिसके लिए पीएम मोदी से लेकर गृह मंत्री और तमाम दिग्गज हस्तियों ने बीएसएफ की तारीफ की थी। लेकिन अब उसी बीएसएफ के जवानों को ड्यूटी पर पहुंचने के लिए भारतीय रेलवे ने एक ऐसी ट्रेन उपलब्ध कराई कि उसकी हालत देखकर जवानों ने उसमें चढ़ने से ही इनकार कर दिया। हालांकि, बीएसएफ जवानों के विरोध के चार दिन के बाद मंगलवार को रेलवे के एनएफआर जोन ने उन्हें दूसरी ट्रेन मुहैया कराई।
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दरअसल बीएसएफ गुवाहाटी फ्रंटियर की ऑपरेशन ब्रांच द्वारा एनएफ रेलवे मालेगांव, गुवाहाटी से बीएसएफ जवानों के लिए एक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया था। जवानों को अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी के लिए कश्मीर पहुंचना था। ट्रेन में बीएसएफ के लगभग 12 सौ जवान सवार होने थे। इनमें त्रिपुरा फ्रंटियर बीएसएफ की सात कंपनी, गुवाहाटी फ्रंटियर से तीन कंपनियां और एम एंड सी फ्रंटियर की भी तीन कंपनियां शामिल हैं। इन सभी कंपनियों के 12 सौ जवानों को एडहॉक 12 व 13 बटालियन के हिस्से के तौर पर अमरनाथ यात्रा 2025 की ड्यूटी के लिए रवाना होना था।
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यह स्पेशल ट्रेन उदयपुर रेलवे स्टेशन (त्रिपुरा) से छह जून को जम्मू तवी रेलवे स्टेशन के लिए रवाना होनी थी। बीएसएफ की तरफ से जवानों की सुविधा के मद्देनजर, रेलवे से एसी 2 वाले दो कोच, एसी 3 के दो कोच, स्लीपर के 16 कोच और 4 जीएस/एसएलआर मुहैया कराने की मांग की गई थी। उदयपुर (त्रिपुरा), अमबासा (त्रिपुरा) बदरपुर (असम), गोलपारा और कूचविहार (पश्चिम बंगाल) रेलवे स्टेशन से बीएसएफ के जवानों को इस 'स्पेशल ट्रेन' नंबर 00709 में सवार होना था।
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रवाना होने से पहले बीएसएफ के कंपनी कमांडर ने उदयपुर से चलने वाली स्पेशल ट्रेन का निरीक्षण किया तो ट्रेन के हालात देखकर बीएसएफ अधिकारी और जवान हैरान रह गए। सूत्रों के मुताबिक, ट्रेन के कोच की स्थिति अमानवीय और दयनीय थी। प्रत्येक वैगन में हर जगह टूटी-फूटी चीजें और गंदगी पड़ी हुई थीं। ट्रेन की खिड़कियों और दरवाजों में छेद बने हुए थे या वे टूटे हुए थे। टॉयलेट गंदा था और सीटें टूटी पड़ी थीं। ट्रेन के फर्श पर सैकड़ों कॉकरोच दौड़ रहे थे। अधिकांश सीटों पर गंदगी फैली हुई थी। ट्रेन के कई कोच में बल्ब या बिजली का कनेक्शन ही नहीं था।
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सूत्रों ने बताया कि ट्रेन में एक कंपनी के शस्त्र/आवास, भंडार और जवानों के बिस्तर के लिए उपलब्ध कराई गई जगह पर्याप्त नहीं थी। इसका उपयोग जवानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए नहीं किया जा सकता था। जांच के बाद पता चला कि महीनों से वैगन का इस्तेमाल नहीं किया गया था। इस मामले को बीएसएफ के आला अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया गया। कंपनी कमांडर की ओर से बताया गया कि ट्रेन के कोच यात्रा के उपयोग के लायक नहीं थे। आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी के लिए रवाना हो रहे बीएसएफ जवानों के लिए इस तरह की ट्रेन में सफर करना जोखिम भरा है।
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भारतीय रेलवे के एनएफआर जोन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि छह जून को रवाना होने वाली स्पेशल ट्रेन रद्द कर दी गई थी। बीएसएफ की तरफ से ट्रेन की खामियों को लेकर कड़ी आपत्ति जताया जाना इसकी वजह थी। इस वजह से अब उन्हें दूसरी ट्रेन दी गई है। नई ट्रेन मंगलवार को रवाना की जाएगी। ऐसे में बीएसएफ जवानों की अमरनाथ यात्रा के लिए तैनाती में भी देरी हो गई है। पहले इन जवानों को कश्मीर में 12 जून तक तैनात किया जाना था।
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