हालात

महाराष्ट्र: राज ठाकरे के लोकसभा चुनाव में न उतरने और मोदी के लिए महायुति को समर्थन के ऐलान से पसोपेश में बीजेपी

राज ठाकरे की घोषणा से साफ है कि उन्होंने उत्तर भारतीयों के खिलाफ अपने रुख नहीं बदला है। राज के इस रुख से यह आशंका है कि बीजेपी को उत्तर भारतीयों के नकारात्मक रुख का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर उत्तर प्रदेश और बिहार में होने की संभावना है।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे
मनसे प्रमुख राज ठाकरे 

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान ‘मोदी मुक्त भारत’ की अपील थी। लेकिन अब उनका राजनीतिक एजेंडा बदल गया है। उन्होंने2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पावर गुट) की महायुति को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की है।

गुढी पाडवा के मौके पर दादर स्थित ऐतिहासिक शिवाजी मैदान पर आयोजित रैली में राज ने स्पष्ट करते हुए कहा कि मनसे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने मनसैनिकों को विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने का आह्वान भी किया है। राज की इस घोषणा से बीजेपी को झटका लगा है। बीजेपी के केंद्रीय नेताओं के प्रयास के बावजूद मनसे को एनडीए में शामिल नहीं कराया जा सका।

गौरतलब है कि पिछले महीने बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात के बाद यह चर्चा तेज हो गई थी कि राज ठाकरे अपनी पार्टी मनसे के साथ बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाले हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी राज की चर्चा हुई।

Published: undefined

रविवार की रैली से एक दिन पहले नागपुर में फडणवीस ने कहा था कि राज की पार्टी मनसे बीजेपी के साथ गठबंधन करेगी। उन्होंने कहा था कि राज के नेतृत्व वाली मनसे पीएम नरेंद्र मोदी को अपना समर्थन घोषित करने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होने के लिए तैयार है। लेकिन रैली में राज ने बीजेपी की इस मंशा को धता बताते हुए एनडीए में शामिल होने की बात नहीं की। उन्होंने सिर्फ मोदी के लिए महायुति को समर्थन देने का ऐलान किया।

सियासी तौर पर देखें तो राज ठाकरे के लिए बीजेपी के साथ खुलकर गठबंधन करना आसान नहीं है। उन्हें एहसास है कि जिस मुद्दे को लेकर उन्होंने शिवसेना से अलग होकर मनसे की स्थापना की थी, तो अगर वे बीजेपी का हिस्सा बन जाते हैं तो उनकी राजनीतिक जमीन खत्म हो सकती है।

राज ठाकरे की एक पहचान उत्तर भारतीय विरोधी की भी है। 2008 में मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य शहरों में उत्तर भारतीयों की पिटाई करके राज ने मनसे की राजनीतिक जमीन तैयार की थी। लेकिन उनका यह स्टंट मराठी माणुस को पसंद नहीं आया। इसलिए मनसे की स्थापना के 18 साल के बाद भी मनसे एक बड़ी राजनीतिक शक्ति बनने में नाकाम रही और उनका जनाधार मजबूत नहीं हो सका।

Published: undefined

उनकी पार्टी कुल जमा 2.5 फीसदी ही मराठी वोट ही हासिल कर सकी है। और इसी मराठी वोट के आधार पर बीजेपी को लग रहा था कि इससे उद्धव ठाकरे के सहानुभति वाले मराठी वोट को बांटना आसान होगा। लेकिन विधान परिषद में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के विरोधी पक्ष नेता अंबादास दानवे ने कहा कि राज के समर्थन देने की घोषणा से मोदी को महाराष्ट्र में कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।  

राज को शिंदे गुट की शिवसेना में अपनी पार्टी का विलय कराकर शिवसेना प्रमुख बनने का भी प्रस्ताव था। इस पर उन्होंने कहा कि मेरा जिस घर में जन्म हुआ वो शिवसेना का घर है। अगर मुझे शिवसेना का प्रमुख बनना होता तो मैं पहले ही ऐसा कर लेता। मैं पार्टी को तोड़ने वाला कोई काम नहीं करूंगा। मैं किसी के अधीन काम नहीं करूंगा। मैंने केवल शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के अधीन काम किया है।  मैं केवल मनसे का अध्यक्ष रहूंगा।

Published: undefined

राज ठाकरे ने यह भी कहा कि आज देश में युवा ज्यादा हैं। युवा देश का भविष्य हैं। मोदी से अपेक्षा है कि वह युवाओं के लिए काम करें। यह कहकर राज ने स्पष्ट किया कि देश के युवाओं के लिए काम नहीं हो रहे हैं और युवाओं की हालत अच्छी नहीं है। केंद्र को युवाओं के लिए काम करना चाहिए। 10 साल में सकारात्मक चित्र नहीं दिख रहा है।

बीजेपी नेता फडणवीस ने यह भी कहा है कि हाल के वर्षों में राज ने हिंदुत्व के एजेंडा को अपनाया है। इसलिए वह बीजेपी और एनडीए में शामिल हो सकते हैं। लेकिन राज ने हिंदुत्व के मुद्दे की चर्चा न करते हुए अपने मराठी के मुद्दे को दोहराया। उन्होंने कहा कि हमारा मराठी प्रेम पहले की ही तरह रहेगा। उसे नहीं छोड़ सकते।

Published: undefined

राज की इस घोषणा से यह भी स्पष्ट है कि राज ने उत्तर भारतीयों के खिलाफ अपना आंदोलन खत्म नहीं किया है। राज के उत्तर भारतीय विरोधी रूख से यह भी आशंका है कि बीजेपी को उत्तर भारतीयों के नकारात्मक रुख का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर उत्तर प्रदेश और बिहार में होने की संभावना है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना कि बीजेपी एक तीर से कई निशाने का काम कर रही है। वो ठाकरे परिवार की राजनीतिक ताकत को खत्म करने में लगी हुई है। शिवसेना को तोड़कर उद्धव ठाकरे को कमजोर करने की कोशिश की है। अब राज के जरिए मराठी माणुस के नाम पर ठाकरे परिवार की राजनीति को भी अलग राह देने की कवायद हो रही थी। लेकिन राज ने इस मामले में बीजेपी की मंशा को फिलहाल कुंद कर दिया है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined