तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को रद्द करने की मांग की है। प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि धर्म नागरिकता प्राप्त करने का आधार नहीं है और धार्मिक आधार पर कोई कानून नहीं लाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सीएए श्रीलंका में तमिलों के खिलाफ है।
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स्टालिन ने कहा कि शरणार्थियों को इंसानों की तरह देखा जाना चाहिए और क्या ऐसे कानून की जरूरत है, जब लोग सौहार्दपूर्ण ढंग से रह रहे हों। प्रस्ताव का विरोध करते हुए बीजेपी विधायक नैनार नागेंद्रन ने कहा कि कानून भारत में रहने वाले मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। वह और बीजेपी के अन्य विधायक सदन से बाहर चले गए।
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सीएए, 2019 ने नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करके धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता प्रदान की है, जिन्हें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान में सताया गया और दिसंबर 2014 से पहले भारत पहुंचे थे।
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