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पीएम लगातार कर रहे हैं 'चुनावी रेवड़ियों' की बरसात, फिर क्यों सूख रहा है बीजेपी का गला!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में चुनावी रेवड़ियों के खिलाफ भाषण तो बहुत दिए, लेकिन वह गुजरात में इन दिनों घोषणाएं इनकी ही कर रहे हैं। पर रेवड़ियों की बरसात के बाद भी बीजेपी का हलक यूं ही नहीं सूख रहा...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले अहमदाबाद में मेट्रो के पहले चरण का उद्घाटन किया था। कुछ महीने बाद गुजरात विधानसभा चुनाव हैं, तो उन्होंने फिर इसका ही उद्घाटन कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले अहमदाबाद में मेट्रो के पहले चरण का उद्घाटन किया था। कुछ महीने बाद गुजरात विधानसभा चुनाव हैं, तो उन्होंने फिर इसका ही उद्घाटन कर दिया। 

नरेंद्र मोदी जो करते हैं ‘बड़ा’ करते हैं। यह बात उन्होंने चुनावी रेवड़ियों के मामले में भी साबित की है। वह जब भी गुजरात गए, करोड़ों की परियोजाओं की आधारशिला डाली। सितंबर तक छह माह की अवधि में मोदी ने कुल मिलाकर 80 हजार करोड़ की परियोजनाओं की नींव रखी। यह फुहार नहीं, रेवड़ियों की घनघोर बरसात है। फिर भी, सत्ता का लंबा और ऊंचाई वाला सफर तय करने वाले पैर डगमगा रहे हैं।

अकेले प्रधानमंत्री मोदी ने 80 हजार करोड़ की परियोजनाओं की नींव रखी। इस दौरान केेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री ने जिन परियोजनाओं की नींव रखी, वे इससे अलग हैं।

सबसे पहले देखते हैं कि पीएम ने कहां क्या दिया?

20 अप्रैल: 22,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की नींव रखी।

10 जून: नवसारी में 12 परियोजनाओं की नींव, 14 परियोजनाओं के लिए भूमि-पूजन और 3,050 करोड़ के निवेश की 7 परियोजनाओं का उद्घाटन।

15 जुलाई: गांधीनगर के नए रेलवे स्टेशन पर बने 790 करोड़ के पांच सितारा होटल सहित 1,100 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन।

28 जुलाई: साबरकांठा जिले के साबर डेयरी में 1000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास।

27-28 अगस्त: भुज में 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास, सरदार सरोवर परियोजना की कच्छ नहर का उद्घाटन। गांधीनगर में 18,300 करोड़ रुपये के दो सुजुकी संयंत्रों की आधारशिला।

29-30 सितंबर: 29,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा। इनमें भावनगर में ‘दुनिया का पहला' सीएनजी टर्मिनल, अहमदाबाद में मेट्रो का चरण-1, सूरत में डायमंड रिसर्च एंड मर्केंटाइल (ड्रीम) शहर का चरण-1, गांधीनगर-मुंबई सेंट्रल वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के अलावा राज्य में आयोजित किए जा रहे 36वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन शामिल।

इससे एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना' को तीन महीने तक बढ़ाने की घोषणा की, जिस पर 44,762 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें 5 किलो गेहूं और चावल मुफ्त दिया जाता है। उत्तर प्रदेश चुनाव में इस योजना का ‘कमाल’ देख इसका समय बढ़ाया गया ताकि हिमाचल और गुजरात के चुनाव कवर हो जाएं। मुफ्त राशन योजना से गुजरात के 71 लाख से अधिक परिवारों के करीब 3.48 करोड़ लोगों को लाभ होगा।

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भावनगर के रहने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल प्रधानमंत्री पर यह कहते हुए हमला करते हैं कि ‘भावनगर में कल्पसर परियोजना का वादा करते हुए इसे नर्मदा परियोजना से भी ज्यादा महत्वाकांक्षी बताया गया, लेकिन यह कहीं दिखाई नहीं दे रही है। जबकि घोषणा को एक दशक से अधिक हो चुका है।’ गोहिल ने कहा, ‘26 जनवरी, 2012 को भावनगर में एक जनसभा में आपने (मोदी ने) 425 करोड़ रुपये के समुद्री जहाज निर्माण पार्क का वादा किया था लेकिन राज्य के स्वामित्व वाली एल्कॉक एशडाउन शिप बिल्डर्स को बंद कर दिया गया। 14 फरवरी, 2014 को एक पूर्ण विकसित महुआ बंदरगाह का वादा किया गया लेकिन यह भी कहीं नहीं दिख रहा। मीठी विरदी को सेंट्रल पोर्ट और भावनगर को नेशनल प्लास्टिक पार्क बनाने का वादा भी अधूरा है।’

गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. मनीष दोशी कहते हैं, 'प्रधानमंत्री भले ही सुपर अचीवर होने का दावा करें, लेकिन अहमदाबाद मेट्रो के पहले चरण को पूरा करने में उन्हें 18 साल लग गए। 2004 के बाद से लागत 3,500 करोड़ से बढ़कर 12,700 करोड़ रुपये हो गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’

दोशी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत, यूपीए सरकार ने 1,500 परियोजनाओं के लिए 10 वर्षों में पांच लाख करोड़ रुपये दिए थे। गुजरात को बीआरटीएस, 108 एम्बुलेंस सेवा, नई बसों और सीवेज उपचार के लिए 20,000 करोड़ रुपये मिले। लेकिन नई बसों के लिए यूपीए सरकार से पैसे मिलने की बात मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने तब तक नहीं मानी जब तक यूपीए सरकार ने फंडिंग में कटौती की धमकी नहीं दी।

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चुनाव नजदीक हैं और आम आदमी पार्टी चुनौती देने वालों में शामिल हो गई है। इस तरह गुजरात में अब मुकाबला त्रिकोणीय है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के चुनावी वादों ने बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार से सहयोगी और सरकारी कर्मचारियों- दोनों की अपनी-अपनी अपेक्षाएं हैं और इस कारण भाजपा खुद को बैकफुट पर पा रही है।

सरकार से नाराज कर्मचारियों की श्रेणी में पूर्व सैनिक, सड़क परिवहन कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता और वन रक्षक भी आ गए हैं। चारों ओर से मांगों की बौछार हो रही है और ये आंदोलन कहीं तूल न पकड़ ले, इस डर से पांच मंत्रियों का एक पैनल बनाया गया है। इन आंदोलनों को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से मिल रहे समर्थन ने भाजपा की हताशा को बढ़ा दिया है और इसका नतीजा है कि उसे कई मांगों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

वेतन संशोधन के लिए पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे पुलिसकर्मियों का ही मामला लें। सरकार उन्हें सुनने के मूड में नहीं थी। इधर अरविंद केजरीवाल ने वादा किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो पुलिसकर्मियों को बेहतर वेतनमान मिलेगा। केजरीवाल के दांव के चार दिन बाद ही सरकार को पुलिसवालों के लिए 550 करोड़ के पैकेज की घोषणा करनी पड़ी। उसके तत्काल बाद पटवारी भत्तों में वृद्धि की अपनी एक दशक पुरानी मांग पर अड़ गए। आखिर सरकार को सितंबर 2022 से इनका भत्ता 900 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये करना पड़ा।

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पूर्व सैनिकों के आंदोलन ने तो उस समय गंभीर मोड़ ले लिया जब प्रदर्शन कर रहे एक सदस्य की मौत हो गई। गांधीनगर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है और पूर्व सैनिक 14-सूत्रीय मांग को लेकर धरने पर हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने पर उनकी सभी मांगों को स्वीकार करने का वादा कर रखा है। इससे पहले, केंद्रीय बजट में घोषित पार-तापी-नर्मदा नदी-जोड़ परियोजना से सरकार ने पल्ला झाड़ लिया जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मई में एक रैली में घोषणा की कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो परियोजना रद्द कर दी जाएगी।

सत्ता विरोधी लहर और कोविड समय के कुप्रबंधन के नुकसान को पाटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने विजय रूपानी मंत्रालय की छुट्टी कर दी लेकिन इस प्रक्रिया में उन्होंने नए मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल की स्थिति को कमजोर कर दिया। 20 अगस्त को दो प्रमुख कैबिनेट मंत्रियों राजेंद्र त्रिवेदी और पूर्णेश मोदी के विभागों में बदलाव से यह धारणा मजबूत हुई कि बीजेपी खेमेबाजी की गिरफ्त में है।

गुजरात में चुनाव तारीखों की घोषणा जल्द ही होने वाली है और बीजेपी अत्यधिक दबाव में है।

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