संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को सरकार से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीद प्रणाली पर ‘श्वेत पत्र’ जारी करने का आग्रह किया। एसकेएम ने यह आरोप भी लगाया कि लगभग 90 प्रतिशत फसलों की खरीद सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर नहीं हो रही है।
एसकेएम ने एक बयान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर ‘लोगों को गुमराह करने’ का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित फॉर्मूले और सरकारी एमएसपी फॉर्मूले के बीच के अंतर को श्वेत पत्र के जरिए सामने लाना चाहिए। एमएसपी किसानों से कुछ फसलों की खरीद के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य है।
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) विशिष्ट फसलों के लिए एमएसपी के बारे में सुझाव देता है। ए2+एफएल+50 प्रतिशत फॉर्मूले में किसान द्वारा वहन की गई लागत और परिवार के श्रम का मूल्य शामिल होता है और एमएसपी निकालने के लिए इसमें लागत का 50 प्रतिशत जोड़ा जाता है। इसके मुकाबले स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित सी2+50 प्रतिशत फॉर्मूले में स्वामित्व वाली भूमि का अनुमानित किराया मूल्य, और अचल पूंजी पर ब्याज, पट्टे पर दी गई भूमि के लिए भुगतान किया गया किराया भी जोड़ा जाता है।
एसकेएम ने कहा कि धान का 2,300 रुपये प्रति क्विंटल का मौजूदा एमएसपी सी2+50 प्रतिशत गणना पर आधारित मूल्य 3,012 रुपये प्रति क्विंटल से 30 प्रतिशत कम है। इस तरह किसानों को 712 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है।
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एसकेएम के मुताबिक, ‘‘चूंकि भारत में धान की औसत उत्पादकता 2,390 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मानी जाती है, लिहाजा एक हेक्टेयर भूमि वाले किसान को धान की फसल पर कुल 17,016 रुपये का नुकसान हो रहा है।’’ इस बयान में कहा गया है, ‘‘राजग-3 सरकार स्वामीनाथन आयोग की सी2+50 प्रतिशत एमएसपी की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।’’
इसके साथ ही एसकेएम ने कहा कि कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसदीय समिति की हालिया रिपोर्ट किसानों को स्वीकार्य नहीं है क्योंकि इसमें सी2+50 प्रतिशत फॉर्मूले की अनुशंसा नहीं की गई है। इस रिपोर्ट में सरकार को कृषि उपज के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी लागू करने की सिफारिश की गई है।
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