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हाथ मलती रह गई SBI ! 6 बैकों को 414 करोड़ का चूना लगाकर देश से फरार हो गई ये कंपनी, संपत्ति भी बेच डाली

दस्तावेज बताते हैं कि बासमती चावल निर्यात फर्म राम देव इंटरनेशनल को 2016 में ही एनपीए घोषित कर दिया गया था। इसका मालिक विदेश भाग गया है, लेकिन एसबीआई ने चार साल बाद इसी साल 25 फरवरी को शिकायत दर्ज कराई।

फोटो: Getty Images
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बैंकों को चूना लगाकर फरार होना अब भारत में आम हो चला है। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी के बाद अब इस लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है। ये नाम बासमती चावल निर्यात करने वाली कंपनी राम देव इंटरनेशनल लिमिटेड के मालिकों का है। 400 करोड़ से अधिक का एक और बैंक घोटाला सामने आया है। एसबीआई ने दिल्ली स्थित बासमती चावल निर्यात करने वाली एक फर्म के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई है। बताया जा रहा है कि, एसबीआई और दूसरे बैंकों का इस पर 400 करोड़ रु से भी ज्यादा का बकाया है। इस शख्स ने 6 बैंकों से उधार लिया था और साल 2016 से लापता है। एसबीआई ने शिकायत तब की जब उसका रुपया वापस नहीं मिला क्योंकि आरोपी अपनी ज्यादातर संपत्ति बेंचकर फरार हो गए हैं।

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फोटो : सोशल मीडिया

इस कंपनी को 2016 में किया था NPA घोषित

दस्तावेज बताते हैं कि बासमती चावल निर्यात फर्म राम देव इंटरनेशनल को 2016 में ही एनपीए घोषित कर दिया गया था। इसका मालिक विदेश भाग गया है, लेकिन एसबीआई ने चार साल बाद इसी साल 25 फरवरी को शिकायत दर्ज कराई। अब सीबीआई मामले की जांच कर रही है। कंपनी के निदेशकों नरेश कुमार, सुरेश कुमार, संगीता और कुछ अज्ञात जनसेवकों पर जालसाजी और धोखाधड़ी जैसे कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर सीबीआई ने कंपनी के मालिक और उसके चार निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

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बैंक ने 4 साल बाद शिकायत दर्ज करायी

2018 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश के अनुसार, यह बताया गया कि ये प्रवर्तक दुबई भाग गए हैं। कंपनी के लोन को 2016 में एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। बैंक ने चार साल की देरी के बाद इस साल फरवरी में एजेंसी को शिकायत दर्ज की। उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किए गए हैं। एसबीआई की शिकायत में कहा गया है कि हरियाणा स्थित उक्त कंपनी के पास करनाल जिले में 3 राइस मिल और 8 सॉर्टिंग और ग्रेडिंग इकाईयां हैं।

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कंपनी मालिक संपत्ति बेचकर हुए फरार

एक विशेष ऑडिट में पता चला है कि उधारकर्ताओं ने खातों में गड़बड़ी कर, बैलेंस शीट को ठग लिया और बैंक धन की लागत पर गैरकानूनी तरीके से हासिल करने के लिए संयंत्र और मशीनरी को अनधिकृत रूप से हटाया है। एसबीआई से बैंकों का एक्सपोजर 414 करोड़ रुपये से 173 करोड़ रुपये, केनरा बैंक का 76 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 64 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 51 करोड़ रुपये, कॉर्पोरेशन बैंक का 36 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक का 12 करोड़ रुपये है।

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