बिहार में कुछ दिनों पहले कोरोना टेस्टिंग में हुए घोटाले के बाद अब मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। राजधानी भोपाल में केस छिपाने के लिए कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है। भोपाल में कोरोना जांच में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा, जिससे पॉजिटिव लोग भी निगेटिव करार दिए जा रहे हैं।
Published: undefined
‘अमर उजाला’ की खबर के अनुसार, आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार सायकल थ्रशहोल्ड (सीटी) वैल्यू 40 या उससे नीचे है पर मरीज को कोरोना पॉजिटिव माना जाना चाहिए, लेकिन भोपाल के सरकारी लैब में तैयार हो रही कोरोना जांच रिपोर्ट में 30 से ज्यादा और 40 से कम सीटी वैल्यू वाले मरीजों को भी कोविड निगेटिव करार दे दिया जा रहा है। सीटी वैल्यू शरीर में वायरस लोड बताने का पैमाना होता है, जिससे कोरोना संक्रमण की पुष्टि होती है।
Published: undefined
यहां बता दें कि भोपाल में रोजाना लगभग पांच सौ कोरोना के नए मरीज सामने आ रहे हैं। ऐसे में अगर 40 सीटी वैल्यू को पॉजिटिव मानकर हिसाब लगाया जाए तो यहां संक्रमित मरीजों की और अधिक संख्या सामने आएगी। कहा जा रहा है कि इसीलिए कोरोना जांच में जानबूझकर यह गड़बड़ी की गई, ताकि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम दिखाई जा सके। इस खुलासे में यह भी पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अफसरों ने लैब संचालकों को आदेश दिया है कि 30 से ऊपर सीटी वैल्यू वालों की रिपोर्ट पॉजिटिव न दी जाए।
Published: undefined
हालांकि, इस मामले के सामने आने पर भोपाल के जिला कलेक्टर अविनाश लवानिया ने ऐसी किसी गड़बड़ी से इनकार किया है। लवानिया ने कहा कि अगर ऐसा होता तो शहर में कोरोना संक्रमण के इतने अधिक मामले सामने नहीं आते। साथ ही उन्होंने कहा कि जांच को लेकर ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है। वहीं, भोपाल के सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी ने इस मामले पर कहा है कि अलग-अलग टेस्ट किट पर सीटी वैल्यू अलग आती है। सीटी वैल्यू का वायरस लोड से कोई संबंध नहीं है।
Published: undefined
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। तेजी से बिगड़ रहे हालात को काबू करने के लिए कई शहरों में लागू किए गए संडे लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का असर कम ही देखने को मिल रहा है। राज्य में जितने मामले इस साल जनवरी और फरवरी को मिलाकर नहीं आए, उससे ज्यादा अकेले मार्च में बढ़ गए। जनवरी-फरवरी में जहां 20 हजार से कम केस थे, वहीं मार्च में करीब 34 हजार केस हो गए हैं, जबकि अप्रैल के शुरुआती दो दिनों में ही कोरोना के मामले पांच हजार के ऊपर पहुंच गए हैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined