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दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और मामला आया सामने, 35 साल का नाइजीरियाई युवक निकला संक्रमित, मचा हड़कंप

खबरों की मानें तो विदेशी नागरिक को दो दिन पहले एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसे सरकार ने संक्रमण के इलाज के लिए नोडल अस्पताल के रूप में नामित किया है।

फोटो: IANS
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देश में मंकीपॉक्स के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं। राजधानी दिल्ली में एक और मामले से हड़कंप मच गया है। सोमवार शाम को दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और मामला सामने आया है, राजधानी में ये दूसरा मामला है। न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती 35 वर्षीय नाइजीरियाई व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हुई है।

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खबरों की मानें तो विदेशी नागरिक को दो दिन पहले एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसे सरकार ने संक्रमण के इलाज के लिए नोडल अस्पताल के रूप में नामित किया है। सूत्र के अनुसार, नाइजीरियाई व्यक्ति का विदेश यात्रा का कोई हालिया इतिहास नहीं है। उसके नमूने पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भेजे गए थे, और पुष्टि रिपोर्ट सोमवार शाम को अस्पताल पहुंची।

इसके अलावा मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मामला भी सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल अस्पताल में मंकीपॉक्स के दो संदिग्ध मामले हैं। राष्ट्रीय राजधानी में दो पुष्ट मामलों के साथ, देश भर में मंकीपॉक्स संक्रमण की संख्या छह तक पहुंच गई है, जबकि केरल में एक व्यक्ति ने वायरस से दम तोड़ दिया है।

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मंकीपॉक्स को लेकर क्या है डॉक्टरों की राय?

  • एक हिंदी न्यूज वेबसाइट ने इंडिया मेडिकल टास्क फोर्स से जुड़े केरल के एक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव जयदेवन के हवाले से बताया है कि कोरोना के विपरीत मंकीपॉक्स तेजी से फैलने वाली बीमारी नहीं है।

  • डॉक्टर जयदेवन ने कहा कि मंकीपॉक्स का वायरस मुख्य रूप से मरीज के पास होने या फिर शारीरिक संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है। ऐसे में जिन्होंने मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आए हैं, उन्हें सावधान रहने की जरूरत है।

  • फोर्टिज एस्कॉर्ट्स अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डायरेक्टर डॉक्टर सुप्रदीप घोष कहते हैं कि मास्क लगाने से कोरोना को रोकने में मदद मिलती थी लेकिन मंकीपॉक्स वायरस के साथ ऐसा नहीं है। केवल संक्रमित मरीजों के साथ निकटता या फिर शारीरिक संपर्क से बचना होगा।

  • संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ईश्वर गिलाडा कहते हैं कि मंकीपॉक्स के ड्रॉपलेट्स या सतहों के माध्यम से फैलने की दूर तक कोई संभावना नहीं है और इस तरह का कोई मामला अबतक सामने नहीं आया है।

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फोटो: सोशल मीडिया

मंकीपॉक्स संक्रमण के क्या कारण हैं?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स नामक वायरस के कारण यह संक्रमण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस समूह से संबंधित है। इस समूह के अन्य सदस्य मनुष्यों में चेचक और काउपॉक्स जैसे संक्रमण का कारण बनते हैं।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स के एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं। संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स, संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के घावों या संक्रमित के निकट संपर्क में आने के कारण दूसरे लोगों में भी संक्रमण होने की आशंका रहती है।

मंकीपॉक्स संक्रमण के क्या लक्षण हो सकते हैं?

  • WHO के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है।

  • संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है।

  • लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है। इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।

  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।

मंकीपॉक्स से बचने के उपाय

  • मंकीपॉक्स का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है

  • मंकीपॉक्स के लक्षण जैसे स्कीन में रैशेज हो तो, दूसरे के संपर्क में आने से बचना चाहिए

  • जिस व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी चादर, तौलिया या कपड़ों जैसी पर्सनल चीजों का इंस्तेमाल नहीं करना चाहिए

  • बार-बार अपने हाथों को साबुन या फिर सैनिटाइजर से साफ करते रहें

  • मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते ही घर के एक कमरे में अकेले रहें

  • अपने पालतू जानवरों से भी दूरी बनाकर रखने की जरूरत है

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