मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस से लगातार हो रही मौतों के बीच शिवराज सरकार ने राज्य के प्रमुख शहरों में विद्युत और गैस शवदाहगृह बनाने में तेजी लाने के निर्देश दिए है। वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस निर्देश पर तंज कसते हुए कहा कि शिवराज सरकार को इस संकट में लोगों के लिए दवा और इलाज की नहीं, बल्कि चिताओं की चिंता है।
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शिवराज सरकार द्वारा राज्य में विद्युत और गैस शवदाह गृह के संदर्भ में जारी निर्देशों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है, बेहद शर्मनाक? शिवराज सरकार को दवा की नहीं, चिता की चिंता? शवदाह गृह बढ़ाने के आदेश? सही है, अपनी नाकामी से यही हालत तो कर दी है प्रदेश की। शिवराज सरकार प्रदेश में अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, इलाज, इंजेक्शन उपलब्ध करा दें तो शव दाह गृह बढ़ाने की जरूरत ही ना पड़े?
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दरअसल राज्य के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि नगर की जनसंख्या के अनुरूप नगर में विद्युत, गैस शवदाह गृह बनाने की कार्यवाही तत्काल प्रारंभ करें। पांच लाख और उससे अधिक जनसंख्या के शहरों में आवश्यकतानुसार एक से अधिक शवदाह गृह बनाये जा सकते हैं। एक लाख से पांच लाख तक की आबादी के शहरों में कम से कम एक विद्युत या गैस शवदाह गृह बनाने का लक्ष्य रखा जाए। किसी नगर में स्थापित विद्युत या गैस शवदाह गृह कार्यशील नहीं है, तो अतिशीघ्र उसे क्रियाशील करवाएं।
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प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास नीतेश व्यास ने कहा कि विद्युत या गैस शवदाह गृह पर्यावरण, स्वच्छता और वायु प्रदूषण कम करने की दृष्टि से उपयोगी कदम हैं। इन शवदाह गृहों को स्थापित करने के लिए निकाय स्वयं की निधि, 15वें वित्त आयोग की वायु प्रदूषण और स्वच्छता हेतु प्रावधानित राशि और विधायक और सांसद निधि का उपयोग कर सकते हैं। इस कार्य के लिए कई सामाजिक संस्थाएं भी सहायता के लिए तत्पर रहती हैं। इन संस्थाओं के माध्यम से भी विद्युत, गैस शवदाह गृह स्थापित करने के लिए जन सहयोग प्राप्त करने का प्रयास किया जाए।
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