कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व राज्यपाल और पूर्व सीबीआई प्रमुख अश्विनी कुमार के निधन पर गहरा शोक जताते हुए उनकी पत्नी ए के चंदक को पत्र लिखा है। अपने पत्र में दिवंगत अधिकारी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि अश्विनी कुमार अपने हर पद पर एक उत्कृष्ट अधिकारी थे।
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श्रीमति ए के चंदक को संबोधित पत्र में सोनिया गांधी ने लिखा है, “आपके प्यारे पति की दुखद मौत पर मैं स्तब्ध और दुखी हूं। अश्विनी कुमार पेशेवर और व्यक्तिगत तौर पर उच्चतम मानकों के साथ एक उत्कृष्ट अधिकारी थे। उन्होंने अपनी नौकरी और अपने परिवार दोनों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी और कर्तव्यों को पूरी गंभीरता के साथ निभाया और इन्हें बनाए रखने के लिए कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने अपना जीवन पूरे सम्मान के साथ गुजारा।”
पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि “दु:ख की इस घड़ी में सांत्वना के लिए बहुत छोटे होते हैं, लेकिन मैं आपको बताना चाहती थी कि मैं आपके दर्द को साझा करती हूं। प्रार्थना है कि इस क्रूर नुकसान को सहन करने के लिए आप, आपके बेटे और आपकी बहू को शक्ति मिले। आपके पति को अब उनके कष्ट से मुक्ति मिल गई है और अब वे शांति में हैं और आपको इस बात से सब्र करना चाहिए।” अंत में सोनिया गांधी ने लिखा कि श्री अश्विनी कुमार अपने हर पद पर एक उत्कृष्ट अधिकारी थे और उन्हें व्यापक रूप से प्रशंसा और सम्मान मिला। हम उनके निधन पर शोकाकुल हैं और हमेशा उन्हें सम्मान के साथ याद करेंगे।
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बता दें कि नागालैंड और मणिपुर के पूर्व राज्यपाल और सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार 7 अक्टूबर को शिमला में अपने घर पर मृत पाए गए थे। पुलिस को उनका शव शिमला स्थित घर में फंदे से लटकता मिला था। खबरों के अनुसार, उनके शव के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें लिखा था कि “जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हुं।” सूत्रों का कहना है कि अश्विनी कुमार पिछले कुछ समय से डिप्रेशन में चल रहे थे। हालांकि पुलिस ने अभी इस तरह की कोई पुष्टि नहीं की है।
अश्विनी कुमार का जन्म हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन में हुआ था। भारतीय पुलिस सेवा में चयन होने पर उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर ही अलॉट हुआ था। वह अगस्त 2006 से जुलाई 2008 तक प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे थे। इसके बाद साल 2008 में ही वह सीबीआई के निदेशक बनाए गए और साल 2010 तक वह इस पद पर रहे। इसके बाद साल 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। बीच में कुछ समय के लिए वह मणिपुर के भी राज्यपाल रहे। बाद में 2014 में उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वह शिमला में एक निजी यूनिवर्सिटी के वीसी भी रहे।
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