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दिल्ली के शिक्षक आवारा कुत्तों की करेंगे गिनती! सरकार ने जारी किया आदेश

शिक्षक संघों ने इस कदम का विरोध करते हुए यह चेतावनी भी दी कि शिक्षकों को इस प्रकार के गैर-शिक्षण कार्य सौंपने से शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो सकता है और शिक्षण पेशे की गरिमा को ठेस पहुंच सकती है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

दिल्ली सरकार ने विद्यालयों समेत शिक्षण संस्थानों को आवारा कुत्तों से संबंधित मामलों के लिए नोडल अधिकारियों को नामित करने और उनकी जानकारी शिक्षा निदेशालय को सौंपने का निर्देश दिया।

शिक्षक संघों ने हालांकि इस कदम का विरोध करते हुए सवाल उठाया कि पशु कल्याण के लिए जिम्मेदार विभाग इस मुद्दे को क्यों नहीं हल कर रहे हैं।

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शिक्षा निदेशालय की कार्यवाहक शाखा ने एक परिपत्र में कहा कि जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी विद्यालयों, स्टेडियमों और खेल परिसरों के नोडल अधिकारियों का नाम, पदनाम, संपर्क नंबर व ईमेल आईडी सहित विवरण संकलित कर समेकित जानकारी निदेशालय को भेजनी होगी।

शिक्षा विभाग ने कहा कि अलग-अलग विद्यालयों से प्राप्त होने वाले उत्तरों की आवश्यकता नहीं है और स्पष्ट किया कि केवल जिला स्तर पर संकलित रिपोर्ट ही स्वीकार की जाएंगी। यह जानकारी दिल्ली के मुख्य सचिव के कार्यालय को भेजी जाएगी।

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शिक्षा निदेशालय की कार्यवाहक शाखा ने एक परिपत्र में कहा कि जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी विद्यालयों, स्टेडियमों और खेल परिसरों के नोडल अधिकारियों का नाम, पदनाम, संपर्क नंबर व ईमेल आईडी सहित विवरण संकलित कर समेकित जानकारी निदेशालय को भेजनी होगी।

शिक्षा विभाग ने कहा कि अलग-अलग विद्यालयों से प्राप्त होने वाले उत्तरों की आवश्यकता नहीं है और स्पष्ट किया कि केवल जिला स्तर पर संकलित रिपोर्ट ही स्वीकार की जाएंगी। यह जानकारी दिल्ली के मुख्य सचिव के कार्यालय को भेजी जाएगी।

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आवारा कुत्तों से संबंधित मुद्दों के लिए नोडल अधिकारी संपर्क सूत्र के रूप में कार्य करेंगे और जन जागरूकता के लिए उनके विवरण स्कूल भवनों और अन्य शैक्षणिक परिसरों के बाहर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे।

शिक्षा विभाग ने बताया कि यह कदम जन सुरक्षा से जुड़ा है, उच्चतम न्यायालय के सात नवंबर के आदेश का अनुपालन करता है और 20 नवंबर को हुई बैठक में जारी निर्देशों के अनुरूप है। परिपत्र में बताया गया कि इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

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शिक्षक संघों ने इस कदम का विरोध करते हुए यह चेतावनी भी दी कि शिक्षकों को इस प्रकार के गैर-शिक्षण कार्य सौंपने से शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो सकता है और शिक्षण पेशे की गरिमा को ठेस पहुंच सकती है।

उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पशु संबंधी मामलों के लिए शिक्षकों की तैनाती से संबंधित इसी प्रकार के निर्देश पहले भी जारी किए जा चुके हैं।

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