हालात

तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर EC के दावे पर उठाया सवाल, 'आंकड़ों के साथ खेला जा रहा है'

तेजस्वी ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने शनिवार को जारी अपने प्रेस नोट में दावा किया है कि राज्य के 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 80 प्रतिशत से अधिक मतदाता पहले ही एसआईआर के तहत गणना फार्म जमा करा चुके हैं। यह एक हैरान करने वाला दावा है।

फोटो: PTI
फोटो: PTI 

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को निर्वाचन आयोग के इस दावे पर सवाल उठाया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) तेज गति से चल रहा है और 25 जुलाई की समय सीमा से पहले इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।

Published: undefined

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उच्चतम न्यायालय के इस सुझाव पर निर्वाचन आयोग की ‘चुप्पी’ पर भी कड़ी आपत्ति जताई कि आधार कार्ड और राशन कार्ड को स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। इन दस्तावेजों को उन मतदाताओं द्वारा प्रस्तुत किया जाना है जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे, जब आखिरी बार एसआईआर कराई गई थी।

Published: undefined

तेजस्वी ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने शनिवार को जारी अपने प्रेस नोट में दावा किया है कि राज्य के 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 80 प्रतिशत से अधिक मतदाता पहले ही एसआईआर के तहत गणना फार्म जमा करा चुके हैं। यह एक हैरान करने वाला दावा है, क्योंकि अनुमानतः बिहार के चार करोड़ लोग अन्य राज्यों में रहते हैं।’’

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम निर्वाचन आयोग से जानना चाहेंगे कि इस प्रक्रिया में कितने प्रवासियों को शामिल किया गया है। यह सर्वविदित है कि चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में लोग वोट डालने के लिए अपने गृह राज्य लौटते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान, अनुमानित 40 लाख प्रवासियों के लिए कई विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन करना पड़ा। निर्वाचन आयोग को बताना चाहिए कि इस बार क्या व्यवस्था की गई थी।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि निर्वाचन आयोग आंकड़ों के साथ खेल रहा है ताकि यह गलत धारणा बने कि वह यह काम कुशलतापूर्वक कर रहा है।

तेजस्वी ने कहा, ‘‘हमें शिकायतें मिली हैं कि बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) लक्ष्य हासिल करने के लिए दबाव में हैं और वे संबंधित मतदाताओं से विधिवत हस्ताक्षर और भराई करवाए बिना ही गणना प्रपत्र एकत्र कर रहे हैं।’’

Published: undefined

आरजेडी नेता ने कुछ वीडियो क्लिप भी चलवाए, जिनमें गणना प्रपत्र सड़कों पर बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने इसे यह बताने के लिए दिखाया कि प्रक्रिया में कई अनियमितताएं हैं।

हालांकि बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के ‘एक्स’हैंडल पर इन वीडियो को खारिज करते हुए ‘फैक्ट चेक’ चला रहा है।

Published: undefined

तेजस्वी ने आरोप लगाया,‘‘ निर्वाचन आयोग कभी भी उचित बयान या प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यह नहीं बताता कि वह इस सप्ताह के शुरू में दिए गए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बारे में क्या करना चाहता है, जिसमें उसे आधार कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने पर विचार करने को कहा गया था।’’

उन्होंने कहा कि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि राजनीतिक दलों द्वारा नामित बूथ स्तरीय एजेंटों को इस प्रक्रिया में क्या भूमिका निभानी है।

Published: undefined

तेजस्वी ने दावा किया, ‘‘निर्वाचन आयोग ने 25 जुलाई की समय सीमा को पूरा करने की जल्दबाजी में एक विज्ञापन जारी किया, जिसमें कहा गया कि जो लोग अपने दस्तावेज जमा नहीं कर सकते, वे अपने फॉर्म जमा कर सकते हैं, तथा शेष चीजें दावे/आपत्तियों के चरण के लिए छोड़ सकते हैं। लेकिन इस संबंध में कोई आधिकारिक अधिसूचना नहीं दी गई, और बीएलओ असमंजस में हैं।’’

तेजस्वी को इस वर्ष के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया गठबंधन)की समन्वय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

Published: undefined

तेजस्वी ने गठबंधन के कई सहयोगियों की मौजूदगी में कहा, ‘‘हमारा अब भी मानना है कि एसआईआर एक ऐसी कवायद है जिसका उद्देश्य सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को फायदा पहुंचाने के लिए, कई मौजूदा मतदाताओं को उनके मताधिकार से गलत तरीके से वंचित करना है। इस अलोकतांत्रिक कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे नेताओं को सीधे तौर पर दोषी ठहराया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनावों में कई सीटें ऐसी थीं जिन पर महागठबंधन (बिहार के लिए विपक्षी गठबंधन का नाम) के उम्मीदवार 3,000 या उससे कम वोटों के अंतर से हार गए थे।

Published: undefined

तेजस्वी ने कहा कि मतदाता सूची में थोड़ी सी भी हेराफेरी आसानी से पलड़ा पलट सकती है, अगर निर्वाचन आयोग को वाकई लगता है कि मतदाता सूची अब तक संदिग्ध रही है, तो उसे पिछले साल के लोकसभा चुनावों को रद्द घोषित कर देना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा के इस दावे का मखौल उड़ाया कि मतदाता सूची से ‘अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों और रोहिंग्याओं’ को बाहर निकालने के लिए यह प्रक्रिया आवश्यक थी।

उन्होंने कहा, ‘‘2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। पिछले साल भी राजग ने राज्य की 40 में से 30 सीटें जीती थीं। इसलिए भाजपा को हमें बताना चाहिए कि क्या उसे लगता है कि कथित घुसपैठिए नरेन्द्र मोदी को वोट दे रहे थे।’’

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined