
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि जातिगत जनगणना के साथ ही यह सुनिश्चित होना चाहिए कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा खत्म हो और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू किया जाए। पार्टी के ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विभागों के प्रमुखों ने यह भी कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी के दबाव में सरकार जातिगत जनगणना के लिए तैयार हुई है।
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कांग्रेस के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अनिल जयहिंद ने कहा, ‘‘जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री और अर्जुन सिंह जी शिक्षा मंत्री थे, तब हमारे संविधान में 93वां संशोधन किया गया था और उसमें अनुच्छेद 15(5) के तहत दलितों, आदिवासियों और समाज के सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान लागू हुआ।’’
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उन्होंने कहा कि उस समय सरकारी शिक्षण संस्थानों में ये आरक्षण लागू हो गया, लेकिन निजी संस्थानों के लोग इसे अदालत में ले गए, जहां ये मामला आगे बढ़ता चला गया। जयहिंद ने दावा किया कि मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
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कांग्रेस के अनुसूचित जनजाति विभाग के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा, ‘‘पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते थे कि जाति की बात करना पाप है और यह ‘अर्बन नक्सल’ की सोच है, लेकिन अब यू-टर्न ले लिया, क्योंकि इन्हें पता चल गया है कि यह बहुत बड़ी क्रांति है।’’ उन्होंने सवाल किया कि जातिगत जनगणना के लिए बीजेपी सरकार की रूपरेखा, समयसीमा और प्रक्रिया क्या होगी? भूरिया ने कहा, ‘‘सरकार और प्रधानमंत्री से मांग है कि हमें जातिगत जनगणना पर ‘हेडलाइन’ नहीं चाहिए। हमें जातिगत जनगणना की ‘टाइमलाइन और डेडलाइन’ चाहिए।’’
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कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख राजेश लिलोठिया ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी चाहती है कि आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा खत्म होनी चाहिए, क्योंकि यह सामाजिक न्याय में सबसे बड़ी रुकावट है।’’ उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत के आरक्षण से साफ हो गया है कि 50 प्रतिशत की सीमा को भी पार किया जा सकता है। लिलोठिया ने कहा, ‘‘अगर बीजेपी सामान्य वर्ग के लिए ये कर सकती है, तो वंचितों-शोषितों के लिए क्यों नहीं कर सकती?’’ उन्होंने कहा कि सरकार को जातिगत जनगणना की समय-सीमा बतानी चाहिए।
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