बिहार में जातीय जनगणना कराए जाने को लेकर तैयारी भी तेज हो गई है। इसके लिए नोडल विभाग बनाया गया सामान्य प्रशासन विभाग इसे लेकर तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। संभावना जताई जा रही है कि जातीय जनगणना का कार्य जुलाई के अंतिम में प्रारंभ हो सकता है।
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राज्य स्तर पर जहां सामान्य प्रशासन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है, वहीं राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारी को जाति आधारित गणना का जिला स्तरीय नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। बिहार सरकार इस गणना को लेकर किसी प्रकार का कोई कोरकसर नहीं छोड़ना चाहती। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि जातीय जनगणना बेहतर ढंग से होगी। यह एक नजीर बनेगा।
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बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग में भी इसे लेकर एक नया सेक्शन बनाया गया है। इसके अलावा संयुक्त सचिव रैंक के पदाधिकारी की भी तैनाती की गई है। सूत्रों के मुताबिक इस सेक्शन को लेकर सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर समेत अन्य कर्मियों के करीब आधा दर्जन पद का सृजन किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग का यह सेक्शन सभी जिलों में होने वाली गणना कार्य की मॉनिटरिंग करेगा, जिससे गणना में किसी तरह की कमी न रहे।
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गौरतलब है कि सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्रामीण स्तर, पंचायत स्तर और उच्चतर स्तर पर विभिन्न विभागों के कर्मियों की सेवा जाति आधारित गणना में ले सकते हैं।
जाति आधारित गणना के क्रियान्वयन पर करीब पांच सौ करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। सरकार इस गणना के दौरान ही आर्थिक सर्वे कराने की भी कोशिश में जुटी है। फरवरी 2023 तक गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
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