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बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का विरोध किया जाएगा, ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं ने किया ऐलान

पवन खेड़ा ने कहा कि सवाल हैं कि ये अब क्यों किया जा रहा है? इस पूरी प्रक्रिया को, मानसून के दिनों में बिहार के बाढ़-प्रभावित इलाकों में, एक महीने में कैसे पूरा किया जाएगा? लोकसभा चुनाव के वक्त जब इसी वोटर लिस्ट पर वोट पड़े हैं, तो विधानसभा में क्यों नहीं?

बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का विरोध किया जाएगा, ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं ने किया ऐलान
बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का विरोध किया जाएगा, ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं ने किया ऐलान फोटोः वीडियोग्रैब

विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के प्रस्ताव का शुक्रवार को कड़ा विरोध किया। तेजस्वी यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का विरोध किया जाएगा।

पटना में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा और सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य सहित अन्य नेताओं ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के प्रस्ताव का विरोध किया जाएगा।

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पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया, ‘‘हमें संदेह है कि इस कवायद का उद्देश्य, जिसमें मतदाताओं से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो बहुत कम लोगों के पास हो सकते हैं, बड़ी संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित करना है, विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों को।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एक बार जब नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे, तो अगला कदम इन लोगों को सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित करना हो सकता है।’’

तेजस्वी यादव ने कहा, "चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की घोषणा की है... इसका मतलब है कि 8 करोड़ बिहारियों की मतदाता सूची को दरकिनार कर दिया गया है और एक नई सूची बनाई जाएगी। चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्या 25 दिनों के भीतर आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची बनाना संभव है?

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तेजस्वी यादव ने कहा, मांगे गए दस्तावेज़ ऐसे हैं जो गरीबों के पास भी नहीं हो सकते हैं। हमारा प्रतिनिधिमंडल इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से संपर्क करेगा। सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी डरे हुए हैं। वे चाहते हैं कि गरीबों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाए। वे समाज के गरीब तबके से वोट देने का अधिकार छीनना चाहते हैं। निर्वाचन आयोग के लिए सिर्फ 25 दिनों में इतनी बड़ी कवायद करना असंभव है, जैसा कि उसने प्रस्तावित किया है। अगर वास्तव में यह संभव है, तो मैं केंद्र को चुनौती देता हूं कि वह दो महीने के भीतर जाति जनगणना कराए।’’

कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी के तीन बंदरों ने कुछ भी बुरा न देखा, न सुना और न कहा। इसी प्रकार निर्वाचन आयोग कुछ भी सच न देखता है, न सुनता है और न बोलता है। जब हमारे नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव कराने के तरीके पर संदेह जताया, तो बीजेपी की ओर से इसका खंडन आया।’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि निर्वाचन आयोग के लिए बिहार एक ‘‘प्रयोगशाला’’ है और देश में अन्य जगहों पर भी इसी तरह के प्रयोग हो सकते हैं।

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पवन खेड़ा ने कहा, बिहार के लोगों के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है। बिहार में विधान सभा चुनाव से ठीक पहले साजिशन मतदाताओं का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है। इसमें घर-घर जाकर वोटरों को सत्यापित किया जाएगा और उनसे उनकी नागरिकता साबित करने को कहा जाएगा। ये खुले तौर से साजिश है, डाका है। ये डाका सिर्फ बिहार के वोटरों पर नहीं, उनके अधिकारों पर, उनकी पहचान पर, उनकी नागरिकता पर डाला जा रहा है। बिहार के लोगों के वजूद को खत्म करने की यह साजिश रची जा रही है।

खेड़ा ने कहा, गहन पुनरीक्षण में कैसे नागरिकता साबित करनी होगी। 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों के लिए- उन्हें अपनी जन्म तिथि या स्थान की सत्यता स्थापित करने के लिए कोई एक वैध दस्तावेज देना होगा। 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्म हुआ है तो- उन्हें अपने साथ-साथ अपने माता-पिता में से किसी एक का वैध दस्तावेज भी देना होगा। 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे मतदाताओं के लिए- इनको अपना और अपने माता-पिता के वैध दस्तावेज देने होंगे।

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पवन खेड़ा ने कहा, ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर ये अब क्यों किया जा रहा है? इस पूरी प्रक्रिया को, मानसून के दिनों में बिहार के बाढ़-प्रभावित इलाकों में, एक महीने में कैसे पूरा किया जाएगा? लोकसभा चुनाव के वक्त जब इसी वोटर लिस्ट पर वोट पड़े हैं, तो विधानसभा में क्यों नहीं? साफ है, जब भी बीजेपी पर संकट आता है, वो चुनाव आयोग की तरफ भागते हैं। चुनाव आयोग मोदी जी के तीन बंदर हैं। न सच सुनते हैं, न सच देखते हैं, न सच बोलते हैं।

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