कांग्रेस ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधारों को लेकर सरकार के ऐलान के एक दिन बाद दावा किया कि अब भी सच्चे "जीएसटी 2.0" (जीएसटी के दूसरे संस्करण) का इंतजार बाकी है और यह "जीएसटी 1.5" है क्योंकि अभी यह देखना होगा कि क्या निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और एमएसएमई पर बोझ कम होगा।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बृहस्पतिवार को यह भी कहा कि राज्यों की यह मांग अब भी अनसुलझी है तथा पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है कि राजस्व की क्षतिपूर्ति की अवधि को पांच साल के लिए और बढ़ाया जाए।
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जीएसटी परिषद ने बुधवार को आम सहमति से माल एवं सेवा कर में व्यापक सुधारों को मंजूरी दी। इन सुधारों के तहत साबुन, साइकिल, टीवी और व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा जीवन बीमा पॉलिसी जैसे आम उपयोग के उत्पादों पर जीएसटी की दरें कम की गयी हैं।
जीएसटी में पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय कर संरचना को मंजूरी दी गयी है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी 2.0 की वकालत कर रही है जिससे दरों की संख्या कम हो, बड़े पैमाने पर उपभोग की जाने वाली वस्तुओं पर दरों में कटौती हो, कर चोरी, गलत वर्गीकरण और विवाद कम हों, उलटे शुल्क ढांचे (लागत की तुलना में उत्पादन पर कम कर) को समाप्त किया जाए, एमएसएमई पर अनुपालन का बोझ कम हो और जीएसटी कवरेज का विस्तार हो।"
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उन्होंने कहा, "केंद्रीय वित्त मंत्री ने कल शाम जीएसटी परिषद की बैठक के बाद कई बड़ी घोषणाएं कीं। हालांकि, जीएसटी परिषद की बैठक से पहले ही, प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2025 के अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में इसके निर्णयों की सारगर्भित घोषणा कर दी थी। "
उन्होंने सवाल किया कि क्या जीएसटी परिषद एक औपचारिकता मात्र रह गई है?
रमेश ने दावा किया कि निजी उपभोग में तेजी की कमी, निजी निवेश की धीमी दर और अंतहीन वर्गीकरण विवादों का सामना करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री ने अंततः स्वीकार किया है कि 'जीएसटी 1.0' आखिरी सीमा तक पहुंच गया।
उनका कहना है, "दरअसल, जीएसटी 1.0 का डिज़ाइन ही दोषपूर्ण था और कांग्रेस ने जुलाई 2017 में ही इस ओर इशारा कर दिया था, जब प्रधानमंत्री ने यू-टर्न लेते हुए जीएसटी लागू करने का फैसला किया था। इसे एक अच्छा और सरल कर माना जाता था। यह विकास को दबाने वाला कर निकला।"
कांग्रेस नेता ने कहा कि कल शाम की घोषणाएं निश्चित रूप से सुर्खियां बनीं क्योंकि प्रधानमंत्री ने दिवाली से पहले की समय-सीमा पहले ही तय कर दी थी। रमेश ने यह भी कहा, " संभवतः दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि, एक सच्चे जीएसटी 2.0 का इंतज़ार जारी है।" क्या यह नया 'जीएसटी 1.5' निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा, देखना बाकी है। उन्होंने कहा, "क्या इससे एमएसएमई पर बोझ कम होगा, यह तो समय ही बताएगा।"
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रमेश ने दावा किया, "इस बीच, सहकारी संघवाद की सच्ची भावना से राज्यों की एक प्रमुख मांग अर्थात उनके राजस्व की पूरी तरह से रक्षा के लिए क्षतिपूर्ति की अवधि को पांच साल के लिए और बढ़ाने की मांग अभी तक अनसुलझी है। वास्तव में, यह मांग अब और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।"
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में कर ढांचे को सरल बनाने का ऐलान किया था। उसी घोषणा के अनुरूप जीएसटी परिषद ने कर दरों में व्यापक बदलाव को मंजूरी दी है।
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