गुजरात के मोरबी पुल हादसे में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। दर्जनों घायल अस्पताल में भर्ती हैं। एनडीआरएफ के एक अधिकारी का कहना है कि हादसे में जितनी मौतें हुईं, उतनी नहीं होती। अधिकारी ने कहा कि अगर हादसे के दौरान पुल के नीचे उथला पानी और चट्टाने नहीं होतीं तो इतनी मौतें नहीं होतीं। उन्होंने बताया कि नदी के बीच के हिस्से में जहां पानी लगभग रुका हुआ है, जहां कोई बहाव नहीं है, वहां की गहराई सिर्फ 20 फीट के करीब है।
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एनडीआरएफ के अनुसार, अधिकतर शव टूटे हुए ब्रिज के नीचे पाए गए, इसके पीछे वजह यह है कि नदी में बहाव नहीं है और पानी लोगों को बहाकर दूर नहीं ले जा पाया। उन्होंने बताया कि जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक, अब सिर्फ एक या दो शवों की ही तलाश होना बाकी है।
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रविवार को हुआ था हादसा
गुजरात के मोरबी में रविवार शाम करीब 6.30 बजे केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए थे। पुल पिछले 6 महीने से बंद था। दिवाली के एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को इसे आम लोगों के लिए खोला गया था। ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की थी, लेकिन रविवार को इस पर करीब 500 लोग जमा थे। मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है।
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