
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेशनल हेरल्ड मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला है। खड़गे ने कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक बदले की भावना से किया जा रहा है और इसका उद्देश्य केवल गांधी परिवार को परेशान करना है। खड़गे ने कहा कि इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं है और कांग्रेस का नारा ‘सत्यमेव जयते’ है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस मामले में फैसले का स्वागत करते हैं "
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कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी आज जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं को परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि जिन मामलों में कोई दम नहीं है, उनमें भी जबरन आरोप लगाए जा रहे हैं।
खड़गे ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों को हथियार बनाकर कई सांसदों और विधायकों को डराया गया और उन्हें बीजेपी के पाले में लाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी तरह की कार्रवाइयों के जरिए बीजेपी ने कई राज्यों में सरकारें बनाई हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नेशनल हेरल्ड केस में फैसला आने के बाद अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए। कोर्ट का ये फैसला नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मुंह पर तमाचा है। उन्हें एक राजीनामा देना चाहिए कि भविष्य में वे लोगों को सताने का काम नहीं करेंगे।
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आपको बता दें, दिल्ली की एक विशेष अदालत ने मंगलवार (16 दिसंबर, 2025) को प्रवर्तन निदेशालय (इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट) की उस शिकायत का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया जिसमें नेशनल हेरल्ड मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया था।
दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने नेशनल हेरल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस शिकायत का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया जो ईडी ने पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) 2002 की धारा 44 और 45 के तहत दर्ज की थी। कोर्ट ने कहा कि ईडी ईसीआईआर दर्ज नहीं कर सकती और न ही बिना एफआईआर के मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच शुरु कर सकती है। ईसीआईआर (एनफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) ईडी का एक अंदरूनी दस्तावेज होता है, जो पुलिस FIR जैसा होता है, जिसे भारत के PMLA एक्ट के तहत मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू करने के लिए रजिस्टर किया जाता है।
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गौरतलब है कि ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ बीजेपी नेता सुब्रहमण्यम की निजी शिकायत के आधार पर जांच शुरु की है। ध्यान रहे कि मौजूदा मोदी सरकार ने 2019 में पीएमएलए एक्ट में संशोधन किया था जिसके बाद निजी शिकायतों के आधार पर जांच का अधिकार एजेंसियों को मिल गया था। लेकिन अदालत ने कहा कि नेशनल हेरल्ड का मामला पहले से दर्ज है और इसमें कोई एफआईआर भी नहीं है, साथ ही किसी भी अधिकृत एजेंसी की तरफ से भी कोई शिकायत दर्ज हुई है। इसी कमी को दूर करने के लिए ईडी ने पहले के मामले को मजबूत करने के लिए 2025 में कथित धोखाधड़ी के लिए एक नई एफआईआर दर्ज की, जिसे कमजोर माना जा रहा था।
ईडी के इतिहास में नेशनल हेराल्ड केस पहला ऐसा मामला बताया जा रहा है, जिसमें एजेंसी ने बिना किसी एफआईआर के, सिर्फ़ एक निजी शिकायत पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। ईडी ने असल में 14 जनवरी 2015 के अपने ही 'टेक्निकल सर्कुलर नंबर 01/2015' को नज़रअंदाज़ किया, जिसमें साफ़ तौर पर कहा गया था कि "ईसीआईआर रजिस्टर करने के लिए, सीआरपीसी की धारा 154 के तहत एफआईआर और सीआरपीसी की ही धारा 157 के तहत इसे मजिस्ट्रेट को भेजना ज़रूरी है।" उस समय के ईडी डायरेक्टर ने कथित तौर पर गलत काम का कोई सबूत न होने की वजह से मुकदमा चलाने की मंज़ूरी देने से मना कर दिया था, लेकिन सरकार ने उनका तबादला कर दिया था और अगले डायरेक्टर ने मुकदमा चलाने की मंज़ूरी देकर सरकार की बात मान ली।
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दरअसल विवाद 2010 का है और यह बंद हो चुके दैनिक नेशनल हेराल्ड अखबार के पब्लिशर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को एक नई नॉन-प्रॉफिट होल्डिंग कंपनी, यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएल) द्वारा अधिग्रहीत किए जाने से जुड़ा है। 2014 में शुरु हुई ईडी की 10 साल लंबी जांच आरोप लगाया गया था कि एजेएल की संपत्तियों का गलत इस्तेमाल करके निजी फायदा उठाने की एक योजना बनाई गई थी। एजेएल की तरफ से इस बारे में कोर्ट में दलील दी गई कि पब्लिशिंग कंपनी के पास अभी भी उसकी सारी संपत्तियां हैं और वाईआईएल को कोई पैसा नहीं दिया गया है, जो वैसे भी एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी होने के नाते कोई डिविडेंड पाने की हकदार नहीं है।
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