
केंद्रीय श्रमिक संघों के एक संयुक्त मंच ने श्रमिकों, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र और ग्रामीण रोजगार से संबंधित कानूनों में सरकार की ओर से किए जा रहे बदलावों के विरोध में फरवरी में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने का फैसला किया है। श्रमिक संघ सरकार द्वारा नवंबर में अधिसूचित चार नई श्रम संहिताओं और संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित सतत परमाणु ऊर्जा के उपयोग एवं उन्नयन के लिए भारत परिवर्तन (शांति) विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
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श्रमिक संघ इसके अलावा विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी रैम जी) विधेयक, 2025 के पारित होने का भी विरोध कर रहे हैं। यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 का स्थान लेगा। ऐसा कहा गया है कि नयी रोजगार योजना में कटाई के मौसम के दौरान अधिनियम के संचालन पर रोक लगाई गई है, ताकि जमींदारों को सस्ता श्रम उपलब्ध कराया जा सके।
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किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और एनसीसीओईईई (नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स) के सदस्यों ने आम हड़ताल को अपना समर्थन दिया है। दस श्रमिक संगठनों के मंच ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय श्रमिक संगठनों (सीटीयू) और क्षेत्रीय महासंघों/संघों के संयुक्त मंच ने श्रम संहिताओं एवं केंद्र सरकार द्वारा लोगों के अधिकारों और हकदारी पर किए जा रहे बहुआयामी हमले के विरोध में 12 फरवरी, 2026 को देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान करने का निर्णय लिया है।’’
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बयान में कहा गया कि हड़ताल की तारीख को नौ जनवरी को नयी दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन में औपचारिक रूप से मंजूरी दी जाएगी। प्रस्तावित हड़ताल के संसद के बजट सत्र के साथ पड़ने की संभावना है जो हर साल फरवरी में आयोजित होता है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को छोड़कर आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी और सीटू सहित सभी प्रमुख श्रमिक संगठन इस मंच का हिस्सा हैं।
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