मार्च के पहले पखवाड़े में एक हफ्ते से ज्यादा समय तक हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने पंजाब में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। 12 मार्च की सुबह तक राज्य के कई हिस्सों में बारिश जारी रही है। कुदरत के कहर का यह खतरा अभी टला नहीं है और मौसम विभाग ने पूरा महीना रुक-रुक कर इसी तरह राज्य भर में जबरदस्त बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी दी है।
इसके मद्देनजर सरकार ने ‘एडवाइजरी’ जारी की है। फौरी नुकसान के लिए खास गिरदावरी के आदेश भी जारी हो चुके हैं। मौसम के ताजा कहर ने पंजाब के विभिन्न इलाकों में गेहूं की फसल को 25 फीसदी तक पूरी तरह तबाह कर दिया है। अन्य फसलों के साथ-साथ आलू, ईख और सरसों की फसलें लगभग 35 फीसदी तक तबाह हो गई हैं। होली के सीजन में आई मौसमी तबाही से कई जगहों पर तेज हवा चलने की वजह से गेहूं की फसल जमीन पर बिछ गई है।
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पंजाब में किसान गेहूं (कनक) को बेटी सरीखा मानते हैं। फसल का बीज बोते ही किसान उम्मीदें और सपने भी साथ ही बो देता है। मार्च माह में बेमौसमी बरसात और ओलाबारी के ऐसे कहर ने पहले से ही कर्ज की दलदल में धंसे किसानों को एकबारगी पूरी तरह तबाह कर दिया है। जिनकी फसलें बची हैं, वे भविष्य में आने वाले कुदरती कहर के नतीजों से बेतहाशा खौफजदा हैं।
ताजा मौसमी कहर का सबसे नागवार असर अच्छी पैदावार के लिए जाने जाने वाले पंजाब के मालवा इलाके में हुआ है। संगरूर जिले के कई गांवों में इन पंक्तियों को लिखे जाने तक ओलों की चादर बिछी हुई है। इस जिले और आसपास के इलाकों में अभी भी रुक-रुक कर बारिश हो रही है। जिले के लहराघागा ब्लॉक के कई गांवों में गेहूं की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है। पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी कमोबेश यही आलम है। कुदरत के इस कहर पर किसी का बस नहीं, न सरकार का, न किसानों का।
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किसानों केे अलावा कृषि विभाग के अधिकारी भी इसकी पुष्टि करते हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों और मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक फसलोंं का अधिकतम नुकसान संगरूर, लुधियाना, मोगा, पटियाला, मानसा, मुक्तसर, फाजिल्का, फरीदकोट, फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और जालंधर में हुआ है। वैसे फसलोंं की बर्बादी की खबरें पूरे सूबे से मिल रही हैं। कृषि विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार ऐरी ने बताया कि हालिया मौसमी कहर से फसलों को हुए नुकसान की मुकम्मल रिपोर्ट फील्ड अफसरों से मांगी गई है। कृषि विभाग ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां फौरी तौर पर रद्द कर दी हैं।
यहां प्रभावित हुए ज्यादातर इलाकों में किसानों की दिक्कत यह है कि खेतों में पानी भर गया है और बची हुई फसल को बचाने के लिए जबरदस्त मशक्कत करनी पड़ रही है। उस पर से मौसम के बदलते/बिगड़ते मिजाज की आशंकाएं अब भी बरकरार हैं। अकेले अमृतसर में ही 1000 एकड़ कृषि भूमि में पानी जमा है।
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भीखीविंड के एक किसान किशन सिंह ढिल्लों बताते हैं कि ऐसी आपदा में मशीनरी से ज्यादा मानवीय श्रम चाहिए, जिसकी भारी कमी है, क्योंकि अब ज्यादातर खेती मशीनरी से होती है और लेबर कम आ रहे हैं। बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं के साथ-साथ ईख (गन्ना), सरसों और आलूू की फसल को तगड़ा नुकसान पहुंचाया है। पंजाब केे कृषि और राजस्व विभाग की टीमें नुकसान के आकलन में जुटी हुईं हैं। जानकारी के मुताबिक तमाम फसलें 50 फीसदी से ज्यादा प्रभावित हैं।
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