उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की हलचलों के बीच गुरुवार को समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया कि पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। अब तक कयास लगाए जा रहे थे कि अखिलेश आजमगढ़ की गुन्नौर सीट या कन्नौज की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन आज सभी कयासों को विराम लगाते हुए अखिलेश यादव ने साफ कर दिया कि वह मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ेंगे।
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समाजवादी पार्टी और मुलायम परिवार में मैनपुरी का खास स्थान है और एक तरह से इसे समाजवादी पार्टी का गढ़ भी कहा जाता है। दरअसल समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का इस सीट से करीबी जुड़ाव रहा है। करहल मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई से महज चार किलोमीटर की दूरी पर है। दूसरा मुलायम सिंह ने करहल के ही जैन इंटर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी और बाद में वे यहीं पर शिक्षक भी रहे।
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ऐसे में अखिलेश का यहां से चुनाव लड़ना एक तरह से काफी सुरक्षित माना जा रहा है, क्योंकि करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का सात बार कब्जा रहा है। इस सीट पर 1996 में सपा के टिकट पर बाबूराम यादव विधायक निर्वाचित हुए। फिर 2000 के उपचुनाव में सपा के अनिल यादव जीते। 2002 में बीजेपी जीती, लेकिन फिर 2007, 2012 और 2017 में यहां से सपा के टिकट पर सोवरन सिंह यादव विधायक चुने गए। सोवरन यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के रमा शाक्य को 40 हजार से अधिक वोट के बड़े अंतर से हराया था।
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इस बीच गुरुवार को एक और बड़ी हलचल में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने यूपी चुनाव में गोरखपुर से सीएम योगी के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया। चंद्रशेखर आजाद ने ऐलान किया कि वह गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। भीम आर्मी ने 18 जनवरी को यूपी की 33 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। ऐसे में अब सबकी निगाहें करहल के साथ ही गोरखपुर पर भी रहेंगी।
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