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अब राज्य सरकारें नहीं बना पाएंगी पसंदीदा अफसरों को रिटायरमेंट से ठीक पहले डीजीपी, यूपीएससी ने बदली नियमावली

अब कोई भी राज्य सरकार अपने पसंदीदा पुलिस अफसर को डीजीपी नहीं बना पाएगी। यूपीएससी ने इस बारे में अपनी नियमावली को और कड़ा कर दिया है। इसके बाद कोई भी राज्य किसी ऐसे पुलिस अफसर को डीजीपी नहीं बना पाएगा जिसके रिटायरमेंट में 6 महीने से कम का वक्त बचा है।

प्रशिक्षु आईपीएस अफसरों की बैठक (फाइल फोटो)
प्रशिक्षु आईपीएस अफसरों की बैठक (फाइल फोटो) 

अब कोई भी राज्य सरकार अपने पसंदीदा पुलिस अफसर को डीजीपी नहीं बना पाएगी। यूपीएससी ने इस बारे में अपनी नियमावली को और कड़ा कर दिया है। इसके बाद कोई भी राज्य किसी ऐसे पुलिस अफसर को डीजीपी नहीं बना पाएगा जिसके रिटायरमेंट में 6 महीने से कम का वक्त बचा है।

उत्तर प्रदेश में बीते करीब दो साल से कोई भी स्थाई डीजीपी नहीं है। राज्य पुलिस की कमान कार्यवाहक डीजीपी के हाथों में है। ऐसी ही स्थिति कुछ अन्य राज्यों में भी है। राज्यों में पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की नियमावली तय करने वाले यूपीएससी ने अपनी संशोधित नियमावली में कहा है कि सिर्फ ऐसे ही पुलिस अफसरों को डीजीपी के पद पर नियुक्त किया जाए जिनके रिटायरमेंट में कम से कम 6 महीने का वक्त बचा हो।

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पिछले महीने जारी संशोधित नियमावली के अनुसार ऐसी व्यवस्था भी की गई है कि यूपीएससी की नियुक्ति कमेटी ऐसे किसी भी पुलिस अधिकारी को डीजीपी पद के योग्य नहीं मानेगी जिसकी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति हो। नियमावली में कहा गया है कि अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय यह टिप्पणी करता है कि संबंधित अधिकारी को कार्यमुक्त करना संभव नहीं है, तो उसे किसी राज्य के डीजीपी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट से बात करते हुए क वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि नई नियमावली से वे अलिखित नियम बदलेंगे जिसके तहत कई राज्य रिटायरमेंट से कुछ ही समय पहले पुलिस अफसरो को डीजीपी के पद पर तैनात करते हैं और फिर उन्हें सेवा विस्तार देते हैं। ऐसा यूपीएससी की प्रक्रिया से बचने के लिए किया जाता रहा है। इस तरह राज्य सरकारें अपने पसंदीदा अधिकारी के डीजीपी बना देती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।

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22 सितंबर को संशोधित की गई नियमावली सभी राज्यों को भेज दी गई है। इसके तहत सिर्फ ऐसे पुलिस अफसर डीजीपी बनाए जा सकते हैं जिन्होंने कम से कम 25 साल सेवा दी हो। पहले इसके लिए उम्र की सीमा 30 साल थी। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि अधिकतम तीन अफसरों के नाम विचार के लिए  भेजे जा सकते हैं। साथ ही इनमें ऐसे अफसर का नाम शामिल नहीं किया जा सकता अगर किसी अफसर ने खुद ही इस पद के लिए इच्छा न जताई हो।

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