उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश में पंचायत चुनावों पर लगी रोक हटा दी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक माहरा की खंडपीठ ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में आरक्षण ‘रोस्टर’ के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग से नया चुनाव कार्यक्रम जारी करने को कहा।
खंडपीठ ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा। अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्षों की सीटों के लिए आरक्षण निर्धारण को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए।
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याचिका में कहा गया कि ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव एक ही तरीके से किया जाता है। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, ग्राम प्रमुख की 63 प्रतिशत सीट देहरादून के डोईवाला ब्लॉक में आरक्षित कर दी गयी हैं।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आरक्षण ‘रोस्टर’ में कई सीट पर लंबे समय से एक ही वर्ग द्वारा प्रतिनिधित्व किया जा रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 243 और उच्चतम न्यायालय के बार-बार दिये आदेशों के खिलाफ है।
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महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीडी रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि पिछड़े वर्गों के लिए समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद पिछले आरक्षण ‘रोस्टर’ को शून्य घोषित करना और वर्तमान पंचायत चुनावों को पहला चरण माना जाना आवश्यक है।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने 23 जून को राज्य में पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी थी। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व में घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, प्रदेश के 12 जिलों में 10 और 15 जुलाई को दो चरणों में पंचायत चुनाव होने थे जबकि 19 जुलाई को मतगणना होनी थी।
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