
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश के सभी स्कूलों, सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी में प्रतिदिन राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' का गायन अनिवार्य करने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बाद उनके इस फैसले पर यह बहस तेज हो सकती है, कि राष्ट्रगीत को अनिवार्य करना ठीक है या नहीं? क्योंकि मुस्लिम समाज को राष्ट्रगीत की कुछ लाइनों पर ऐतराज रहा है।
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मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों में अब हर दिन की शुरुआत 'वंदे मातरम' के गान से की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया है कि यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू की जाए और विद्यालयों में अनुशासन, स्वच्छता और देशप्रेम का माहौल सुनिश्चित किया जाए।
सीएम योगी ने कहा, "हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों में देश के प्रति सम्मान और गर्व की भावना जगाना है। 'वंदे मातरम' का गायन केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति का संस्कार है।"
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शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस फैसले के तहत जल्द ही एक औपचारिक आदेश जारी किया जाएगा। आदेश में यह भी साफ किया जाएगा कि 'वंदे मातरम' का पाठ हर दिन प्रार्थना सभा के दौरान किया जाएगा, जैसे राष्ट्रीय गान 'जन गण मन' का गायन होता है।
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'वंदे मातरम' गीत बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में संस्कृत और बांग्ला मिश्रित भाषा में लिखा था। यह गीत उनकी प्रसिद्ध कृति 'आनंदमठ' (1882) में शामिल किया गया था।
गीत में भारत माता को देवी के रूप में चित्रित किया गया है-
"त्वं ही दुर्गा दशप्रहरणधारिणी..."
यहां भारत भूमि को "दुर्गा माता" और अन्य हिंदू देवियों के रूप में संबोधित किया गया है।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रगीत को स्कूलों में अनिवार्य करने के फैसले पर बहस तेज हो सकती है, क्योंकि राष्ट्रगीत की कुछ लाइनों पर मुस्लिम धर्मगुरु पहले ही ऐतराज जता चुके हैं।
देश में मुस्लिम समाज के कुछ वर्गों ने "वंदे मातरम" न गाने की जो वजहें दीं, वे मुख्यतः धार्मिक और वैचारिक आधार पर हैं-
राष्ट्रगीत में देवी पूजा का तत्व है।
मुस्लिम विद्वानों का कहना है कि इस गीत में भारत भूमि को देवी दुर्गा के रूप में पूजने का आह्वान है।
इस्लाम के अनुसार, अल्लाह के अलावा किसी की उपासना (पूजा) या बंदगी हराम (निषिद्ध) मानी जाती है।
इसलिए, वे कहते हैं, "हम भारत से प्रेम करते हैं, लेकिन देवी या मूर्ति रूप में उसकी पूजा नहीं कर सकते।"
यह दृष्टिकोण धार्मिक सिद्धांतों पर आधारित है, न कि देश के प्रति विरोध पर।
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संविधान सभा (24 जनवरी 1950) में फैसला लिया गया कि
"जन गण मन" होगा राष्ट्रीय गान।
"वंदे मातरम" को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया गया।
किसी नागरिक पर इसे गाने का कानूनी दबाव नहीं डाला जाएगा।
मतलब यह है कि इसे गाना या न गाना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है।
संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सभी को प्राप्त है। ऐसे में अब यूपी के सीएम द्वारा स्कूलों में राष्ट्रगीत को अनिवार्य करने के फैसले पर सवाल खड़े किए जाएंगे, साथ ही बहस भी तेज होगी।
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देश में आज ज्यादातर मुस्लिम नागरिक और शिक्षाविद यह मानते हैं, "वंदे मातरम भारत का गौरवशाली गीत है, लेकिन इसका धार्मिक हिस्सा उनके आस्था सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।"
कई मुस्लिम संस्थानों (जैसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया आदि) पहले दो अंतरों को राष्ट्रप्रेम के रूप में स्वीकार करते हैं, पर पूजा-संबंधी हिस्सों से दूरी रखते हैं।
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