केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल पारित कराने के लिए लोकसभा में पेश कर दिया है। विपक्ष के भारी विरोध के बीच संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल पेश करते हुए कहा कि खुले मन से पॉजिटिव नोट के साथ पेश कर रहा हूं। सरकार किसी भी धार्मिक संस्था में हस्तक्षेप नहीं करने जा रही है। बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय दिया गया है, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है।
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वक्फ संशोधन बिल पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि इससे अधिक संख्या में आज तक किसी भी बिल पर लोगों की याचिकाएं नहीं आईं। 284 डेलिगेशन ने अलग-अलग कमेटी के सामने अपनी बात रखी है। 25 राज्यों के वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा। पॉलिसी मेकर्स, विद्वानों ने भी अपनी बात कमेटी के सामने रखी हैं। इस बिल का पॉजिटिव सोच के साथ विरोध करने वाले भी समर्थन करेंगे। यह प्रस्ताव खुले मन से पॉजिटिव नोट के सामने पेश कर रहा हूं।
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इससे पहले वक्फ संशोधन विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए विपक्ष ने दावा किया कि केंद्र सरकार कानून को जबरन थोप रही है क्योंकि विधेयक को सदन के संज्ञान में लाने के बाद से संशोधन के लिए समय नहीं दिया गया। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा में कहा कि ये लेजिस्लेचर को बुल्डोज करने जैसा है। उन्होंने सदस्यों के संशोधन प्रस्ताव का मुद्दा उठाया। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि जितना समय सरकारी संशोधनों को दिया है, उतना ही समय गैर सरकारी संशोधनों को भी दिया है। दोनों में कोई अंतर नहीं किया गया है।
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आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने पॉइंट ऑफ ऑर्डर रेज करते हुए कहा कि हम ओरिजिनल बिल पर चर्चा करने नहीं जा रहे हैं. ये जेपीसी की रिपोर्ट के बाद नए प्रावधान के साथ आ रहा बिल है। ये टेक्निकल मैटर है। रूल 81 को सस्पेंड किए बिना इन पर चर्चा का इस सदन को अधिकार नहीं है। नए ड्राफ्ट में कई नए प्रावधान हैं। मंत्री प्रस्ताव पेश कर सकते हैं, जेपीसी की संस्तुतियों को शामिल करने का प्रावधान कर सकते हैं लेकिन जेपीसी के पास नए प्रावधान जोड़ने का पावर नहीं है।
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बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियां एकजुट हैं जबकि इंडिया गठबंधन इसके विरोध में एकजुट है। वक्फ बिल पेश होने से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष ने भी अपने सांसदों के साथ अहम बैठक की। लोकसभा में बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तय किया गया है। बीजेपी को विधेयक पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय दिया गया है। वहीं एनडीए को कुल 4 घंटे 40 मिनट का समय दिया गया है। बिल पर चर्चा के लिए कुल 8 घंटे आवंटित किए गए हैं।
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