हालात

क्‍या सही होगी यह भविष्‍यवाणी? 15 मई को आ सकता है हरियाणा में कोरोना का पीक, 1.30 लाख होंगे सक्रिय मरीज

सरकार के रजिस्‍टर कह रहे हैं कि अप्रैल महीने में 1225 मौतें कोरोना से हुई हैं, जबकि श्‍मशान घाटों में कोरोना प्रोटोकॉल से 3814 लोगों का दाह संस्‍कार किया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री की भविष्यवाणी सही होने के ही आसार लग रहे हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि हरियाणा में 15 मई को कोरोना का पीक आ सकता है और इस समय राज्‍य में सक्रिय मरीजों की तादाद 1 लाख 30 हजार तक हो सकती है। लेकिन प्रदेश में हालात इतने भयावह बन चुके हैं कि सरकार के सारे आंकड़े बेमानी नजर आ रहे हैं। सारे अनुमान गलत साबित हो चुके हैं। कोरोना के दिखाए जा रहे आंकड़ों और बताई जा रही मौतों की संख्‍या पर लोगों का यकीन उठ चुका है। अस्‍पतालों का मंजर ऐसा है कि हर तरफ चीख-चीत्‍कार और एक अदद बेड व ऑक्‍सीजन जैसी चीजों के लिए मशक्‍कत करते मरीजों के परिजन ही नजर आते हैं।

मुख्‍यमंत्री का कहना है कि उन्‍होंने तो बाढ़ से निबटने की तैयारी की थी, लेकिन यह तो सूनामी आ गई…लेकिन लोगों का सवाल है कि जनाब बाढ़ से निबटने की भी तैयारी तो कम से कम नजर आती ? सरकार की तरफ से सीएम से लेकर मंत्री तक रोज वादों की बमबारी कर रहे हैं कि हम इतने बेड बढ़ा रहे हैं, 60 ऑक्‍सीजन के प्‍लांट लगा रहे हैं, अस्‍पताल बना रहे हैं, लेकिन सब हवा में है। जनता अपने तड़पते परिजनों को बचाने के लिए यह सभी सुविधाएं आज मांग रही है और सरकार कल देने की बात कर रही है।

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सबसे गंभीर सवाल यह है कि हर तरफ फैले मौत के मंजर के बीच भी क्‍या सरकार आंकड़े दबा कर वाह वाही लूटने की कोशिश कर रही है। सरकार के रजिस्‍टर कह रहे हैं कि प्रदेश में कोरोना से फैटलिटी रेट 0.90 फीसदी है, लेकिन सामने आए आंकड़े कुछ और कहानी कह रहे हैं। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मुताबिक अप्रैल महीने में 1225 मौतें कोरोना से हुई हैं, जबकि श्‍मशान घाटों में कोरोना प्रोटोकॉल से 3814 लोगों का दाह संस्‍कार किया गया है। हालात ऐसे बन गए हैं कि गुरुग्राम में तो श्‍मशान घाट के बाहर पार्किंग में अंतिम संस्‍कार करने की खबरें हैं, जबकि रेवाड़ी, हिसार, अंबाला, कैथल और रोहतक समेत कई शहरों में श्‍मशान घाट बढ़ाने पड़े हैं। इसका मतलब है कि सरकार जो बता रही है उससे कहीं तीन गुणा ज्‍यादा मौतें हो रही हैं।

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मौत के आंकड़े छिपाने को लेकर मीडिया के सवाल पर सीएम का अजीबोगरीब जवाब सरकार की हालत बयां करता है। सीएम का कहना है कि इस संकट में हमें आंकड़ों से नहीं खेलना चाहिए। जिसकी मौत हो गई वह हमारे शोर मचाने से जीवित तो होता नहीं। मौत कम हैं या ज्यादा, इस विवाद में पड़ने का कोई अर्थ नहीं है।

हालात की गंभीरता इससे समझें कि राज्‍य में रिकवरी रेट लगातार 80 से नीचे रहते हुए 78.92 है। वहीं, पॉजिटिविटी रेट 29.92 है। इसका मतलब है कि राज्‍य में हर चौथा आदमी संक्रमित मिल रहा है। लेकिन यहां भी सवाल है कि क्‍या सरकार राज्‍य में कोरोना की भयावह स्थिति को छिपाने के लिए सैंपल ही कम ले रही है? प्रदेश में रोजाना 90 हजार सैंपलिंग की क्षमता के बावजूद लिए जा रहे महज करीब 52 हजार सैंपल प्रश्‍न तो खड़ कर ही रहे हैं।

सरकार का दावा है कि कोरोना मरीजों के लिए करीब 60 हजार बेड की व्‍यवस्‍था उसके पास है, लेकिन फिर अस्‍पतालों में बेड की मारामारी क्‍यों है ? इसका जवाब उसके पास नहीं है। अस्‍पतालों में यह हालात तब हैं जब करीब 1 लाख 16 हजार एक्टिव केसों में से 92 फीसदी होम आइसोलेशन में हैं। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक महज अप्रैल माह के 6 दिनों में ही 85907 कोरोना के पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, जबकि 921 मौतें हुई हैं। मतलब औसतन 150 से ज्‍यादा मौतें और 14 हजार से अधिक केस रोजाना आ रहे हैं। 1443 मरीज बेहद गंभीर हैं। इसमें से 233 वेंटिलेटर पर हैं, जबकि 1210 ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर हैं। लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि सरकार के यह आंकड़े क्‍या राज्‍य की सही तस्‍वीर पेश कर रहे हैं?

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