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फिर सामने आए कृषि मंत्री, कानून रद्द होंगे या नहीं? किया साफ, बताया- किसान आंदोलन को लेकर क्या है सरकार की मंशा

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रस्ताव किसानों  पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई। मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। हम बातचीत के लिए तैयार हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के बीच एक बार फिर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मीडिया के सामने आए और उन्होंने पूरे आंदोलन पर सरकार की मंशा जाहिर की। उन्होंने यह साफ कर दिया है कि सरकार अपने पहले वाले रुख पर ही कायम है। सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। वह सिर्फ इसमें संशोधन के लिए तैयार है। कृषि मंत्री ने कहा, “किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ 6 दौर की बातचीत हुई। सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में यह संभव नहीं हो सका।”

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नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “प्रस्ताव उनके (किसानों) पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई। मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम बातचीत के लिए तैयार हैं।”

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए। सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है। प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन समाप्त करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए।”

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कृषि मंत्री तोमर ने आगे कहा, “भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं, किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाए हैं। सरकार बात करके उसमें (कानून) सुधार करने के लिए तैयार है।”

उन्होंने आगे कहा, “सर्दी का मौसम है और कोरोना का संकट है, किसान बड़े खतरे में पड़े हुए हैं। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, दिल्ली की जनता परेशान हो रही है। इसलिए जनता के हित में, किसानों के हित में उनको (किसानों) अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए।”

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गौरतलब है कि किसानों का आंदोलन 16 दिन से जारी है। किसान संशोधन नहीं, बल्कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी पर लीगल गारंटी दे। लेकिन सरकार यह मानने को तैयार नहीं है। ऐस में अब तय है कि आने वाले तीन दिनों में गतिरोध बढ़ेगा, क्योंकि किसानों ने दिल्ली को जोड़ने वाले सभी रास्तों को ब्लॉक करने के साथ ही दिल्ली कूच का ऐलान किया है। देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर का रुख कर रहे हैं। किसान आर-पार के मूड में हैं।

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