हालात

क्या लद्दाख में भारत-चीन के बीच खत्म होगा तनाव? कल 12वें दौर की सैन्य स्तरीय वार्ता करेंगे दोनों देश

भारत और चीन के बीच पिछले साल पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में झड़प के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएस) के कुछ प्वाइंट्स पर तनावपूर्ण हालात कायम हैं, जिसे हल करने के लिए अब तक दोनों देशों के बीच 11 दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत हो चुकी है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

भारत और चीन शनिवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन की तरफ मोल्दो में कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की वार्ता करेंगे, ताकि पूर्वी लद्दाख में अगले चरण की सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौते पर पहुंचा जा सके। एक सैन्य सूत्र ने बताया कि यह बातचीत सुबह 10.30 बजे शुरू होगी।

नवीनतम दौर की वार्ता तीन महीने के अंतराल के बाद होगी। भारतीय सैन्य प्रतिनिधि अपने समकक्षों से मिलेंगे और 900 वर्ग किलोमीटर भूमि में फैले हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग मैदान जैसे तनाव वाले क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाने पर चर्चा करेंगे। हालांकि डेपसांग क्षेत्र में निर्माण को मौजूदा गतिरोध का हिस्सा नहीं माना जा रहा है, जो पिछले साल मई में शुरू हुआ था।

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भारत ने एलएसी के साथ सभी मुद्दों को हल करने के लिए हालिया सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठकों के दौरान जोर दिया है। एक अधिकारी ने कहा कि शुरूआती प्रयास गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स में मुद्दों को हल करने का होगा। डेपसांग का समाधान खोजना मुश्किल हो सकता है और इसमें अधिक समय लग सकता है।

इससे पहले अप्रैल में, कोर कमांडर स्तर की वार्ता के 11वें दौर के दौरान गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और डेपसांग के तनाव वाले बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों ने 20 फरवरी को सैन्य वार्ता के 10वें दौर का आयोजन किया था।

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चीन पिछले कुछ समय से एलएएसी के पार सैन्य बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है। इसे देखते हुए, भारत ने चीन के प्रति अपना रुख बदल दिया है और अपने पिछले रक्षात्मक दृष्टिकोण के उलट अब यह आक्रामकता का जवाब आक्रामक शैली से दे रहा है। भारत अब वापस हमला करने के लिए सैन्य विकल्पों की पूर्ति कर रहा है और उसी के अनुसार अपनी सेना को किसी भी नापाक मंसूबों से निपटने के लिए तैयार किया हुआ है।

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भारत ने लगभग 50,000 सैनिकों को पुनर्निर्देशित किया है, जिनका मुख्य ध्यान चीन के साथ विवादित सीमाओं पर है। सूत्रों ने कहा कि पुनर्विन्यास ऐसे समय में आया है, जब चीन तिब्बती पठार में अपने मौजूदा हवाई क्षेत्रों का नवीनीकरण कर रहा है, जो दो इंजन वाले लड़ाकू विमानों को तैनात करने की अनुमति देगा। इसके अलावा चीन तिब्बत सैन्य क्षेत्र से भी सैनिकों को शिनजियांग क्षेत्र में लेकर आया है। चीनी पक्ष तेजी से तिब्बती पठार क्षेत्र में भी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।

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