
साल 2025 भारतीय राजनीति के लिए किसी गहरे सदमे से कम नहीं रहा है। 12 महीनों में देश ने कई प्रमुख नेताओं को खोया है। इन दिग्गज नेताओं में विजय रूपाणी और शिबू सोरेन से लेकर शिवराज पाटिल तक शामिल रहे, जिन्होंने अपने-अपने दौर में राजनीति को दिशा दी और जनसेवा की एक मिसाल कायम की।
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साल के आखिरी महीने की 12 तारीख को कांग्रेस के सीनियर नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल इस दुनिया को छोड़कर चले गए। वे लंबे समय से बीमार थे और 12 दिसंबर को महाराष्ट्र के लातूर स्थित आवास पर उनका निधन हो गया। शिवराज पाटिल ने 2004 से 2008 तक देश के गृह मंत्री के रूप में आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली। इससे पहले वे 1991 से 1996 तक लोकसभा अध्यक्ष रहे। इसके अलावा उन्होंने पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक जैसे अहम संवैधानिक पदों पर भी सेवाएं दीं। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में शिवराज पाटिल ने कांग्रेस संगठन को मजबूत करने और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई।
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वहीं, 12 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का निधन अहमदाबाद में विमान हादसे में हुआ था। अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट उड़ान भरते ही क्रैश हो गई थी। विमान में विजय रुपाणी भी सवार थे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य में विकास और प्रशासनिक सुधारों को गति देने के लिए कई अहम पहल की थीं। दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा का 30 सितंबर को एम्स में निधन हुआ था। वे 1972 में दिल्ली प्रदेश जनसंघ के अध्यक्ष बने और फिर दो बार बीजेपी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहे।
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अलग झारखंड राज्य के आंदोलन को दिशा देने वाले शिबू सोरेन का भी इसी साल निधन हुआ। वे आदिवासी समाज की आवाज बनकर उभरे। जनता के बीच 'गुरुजी' के नाम से प्रसिद्ध रहे शिबू सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की स्थापना की थी, जो वर्तमान में राज्य में सत्तारूढ़ है। 81 वर्ष की उम्र में शिबू सोरेन किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। 4 अगस्त को उन्होंने आखिरी सांस ली।
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अपने बेबाक बयानों और स्पष्ट विचारों के कारण चर्चा में रहे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का भी इसी साल 5 अगस्त को निधन हुआ। 79 वर्षीय सत्यपाल मलिक ने मेघालय, जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में राज्यपाल के रूप में सेवाएं दीं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दौरान वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे।
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इसी साल 21 जुलाई को केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंदन का निधन हो गया। 101 वर्षीय अच्युतानंदन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। वे 2006 में केरल के मुख्यमंत्री बने थे। इसके अलावा, उन्होंने कई बार विपक्ष के नेता के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सख्त छवि और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर उनकी स्पष्ट राय उन्हें एक अलग पहचान दिलाती रही।
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