विचार

सबकुछ सांप्रदायिक चश्मे से देखने-दिखाने का खेल, संघ-बीजेपी के द्विअर्थी बयानों से बढ़ रही निरंकुशता

संघ से लेकर भाजपा तक के नेतृत्व की ओर से द्विअर्थी संदेश दिए जाते हैं और इसलिए नीचे के स्तर पर कोई भ्रम नहीं है कि उन्हें क्या करना है। वैसे भी, यही संघ का तरीका भी है कि किसी मसले पर इतनी तरह की बात कह दो कि यह भी सही, वह भी सही-जैसी हालत रहे।

Getty Images
Getty Images Pacific Press

लगता है, भोपाल में अपनी प्रोडक्शन टीम पर हमले के बाद प्रकाश झा को अपनी क्राइम वेब सीरीज ‘आश्रम’ का नाम बदलने को विवश होना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री को भी इसके कन्टेंट से ज्यादा सीरियल का नाम ‘आश्रम’ रखने पर आपत्ति है। सिएट टायर्स वालों ने तो अपना वह विज्ञापन ही वापस ले लिया है जिसमें आमिर खान सड़कों पर पटाखे न छुड़ाने की अपील कर रहे हैं। यह विज्ञापन पटाखों के खिलाफ नहीं है, यह सड़कों पर पटाखे न छुड़ाने के लिए कहता है। वैसे, इन दिनों सोशल मीडिया पर वैसे वीडियो-मैसेज भी खूब तैर रहे हैं कि दीपावली पर पटाखे न छुड़ाने, होली पर रंग न खेलने तथा पानी की बर्बादी रोकने की अपील ही क्यों की जाती है, अन्य गैर हिन्दू धर्मों के पर्वों पर ऐसे विज्ञापन क्यों नहीं आते या अपीलें क्यों नहीं जारी की जाती हैं। पिछले 5-7 साल में ऐसी अपीलें खूब चल रही हैं और अब इनके खिलाफ टिप्पणी करना लोगों ने इस डर से बंद कर दिया है कि पता नहीं किसके साथ कब क्या हो जाए।

हम-आप ध्यान दें, तो सोशल मीडिया पर ये मैसेज भी खूब चल रहे हैंः

  • यह वीडियो देखिए। इसमें इस चीते को अकेला पाकर कुत्तों ने किस तरह नोंच खाया है। आप कितने बलशाली हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी संख्या कितनी है।

  • अपने बगल में तालिबान ने जिस तरह आनन-फानन में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और चीन- रूस-पाकिस्तान जिस तरह उसके इर्द-गिर्द जमा हो रहे हैं, उससे साफ जाहिर है कि अगला निशाना भारत है। अगर हिन्दू आज नहीं जगे, तो कल को उनकी औरतों को भी बुरका पहनकर रहना पड़ सकता है।

  • अफगानिस्तान में पेट्रोल-डीजल 60 रुपये प्रति लीटर है। अगर आपको भी वैसी ही विचारधारा चाहिए, मजबूत देश नहीं चाहिए, तो कोई भी इतना सस्ता पेट्रोलियम पदार्थ आपको दे देगा। आप क्या चाहते हैं?

Published: undefined

इन विचारों का कोई समर्थक आम तौर पर यह नहीं कहता कि हिन्दू धर्म खतरे में है लेकिन ऐसा हर व्यक्ति यह जरूर कहता मिल जाता है कि पहली दफा भारत इस हालत में आने लगा है कि वह किसी भी गैर हिन्दू देश का मुकाबला कर सकता है- वह मानता नहीं और किसी को मानना भी नहीं चाहिए कि भारत हिन्दू देश है, हालांकि इसके लिए संघ-समर्थक और पोषित कई लोग खासे सक्रिय हैं। लेकिन उन-जैसे लोग यहां तक दावा करते हैं कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 700 साल बाद देश में हिन्दूराज हुआ है।

statista.com के अनुसार, जुलाई, 2021 में भारत में इन्स्टाग्राम का 18 करोड़, ट्विटर का 22 करोड़ और फेसबुक का 34 करोड़ लोग उपयोग कर रहे थे। backlinko.com के मुताबिक, भारत में 39 करोड़ से अधिक लोग व्हाट्सएप का उपयोग कर रहे हैं। इस तरह के मैसेज-वीडियो इन्स्टाग्राम और ट्विटर पर अपेक्षाकृत कम डाले जाते हैं लेकिन अगर इन दोनों पर धर्मनिरपेक्षता, सौहार्द आदि के बारे में या कट्टरता के खिलाफ कोई पोस्ट हो, तो उनके थ्रेड्स में जाकर देखा जा सकता है कि लोग किस तरह टूट पड़ते हैं। सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को लेकर फेसबुक और व्हाट्सएप ज्यादा नाखूनी साबित हो रहे हैं।

Published: undefined

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अभी 23 अक्तूबर को ही फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों के आधार पर जो रिपोर्ट दी है, वह इस बात का तथ्यात्मक खुलासा करती है कि फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिये भड़काने वाले, खास तौर से मुसलमानों के खिलाफ, संदेश फैलाए जा रहे हैं और इस प्रक्रिया की गति दिसंबर, 2019 से ही बढ़ गई है जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए थे। इसके बाद ही फरवरी, 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।

तब से इस प्रकार के मैसेज लगभग 300 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक की आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर बताया है कि इस तरह के आकलन के बाद फेसबुक ने अपने रिसर्चर्स के जरिये ‘दर्जनों लोगों’ से बात कर जानना चाहा कि ये मैसेज किस तरह के हैं, इन्हें पढ़कर उन्हें क्या लगता है और इन पर कैसे रोक लग सकती है। अधिकतर लोगों ने रोक के उपाय फेसबुक प्रबंधन से ही करने को कहा और कहा कि ये मैसेज ‘दुर्भावना से भरे हुए’, ‘खौफनाक’, ‘खतरनाक’ तथा इस तरह के भी हैं कि ‘हिन्दू खतरे में हैं और ‘मुसलमान, बस, हमें मारने ही वाले हैं।’ रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों, बजरंग दल और भाजपा समर्थकों की इस तरह के मैसेज भेजने वालों के तौर पर पहचान की गई है।

केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जब-तब मामले दर्ज करती है, केन्द्रीय मंत्री से लेकर राज्यों के मंत्री तक विभिन्न मैसेज को आपत्तिजनक तो मानते हैं, पर इस तरह के ‘भड़काने वाले बयानों’ के खिलाफ कभी नहीं बोलते।

Published: undefined

दरअसल, संघ से लेकर भाजपा तक के नेतृत्व की ओर से द्विअर्थी संदेश दिए जाते हैं और इसलिए नीचे के स्तर पर कोई भ्रम नहीं है कि उन्हें क्या करना है। वैसे भी, यही संघ का तरीका भी है कि किसी मसले पर इतनी तरह की बात कह दो कि यह भी सही, वह भी सही-जैसी हालत रहे। अब जैसे, संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान ही देखें। हाल में उन्होंने संघ की यह बात दोहराई कि ‘देश में रहने वाला हर भारतीय हिन्दूहै और इसे धर्म से जोड़कर नहीं बल्कि जीवन शैली के नजरिये से देखना चाहिए।’ लेकिन 11 जुलाई को चित्रकूट में दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की चिंतन बैठक के बाद प्रांत प्रचारकों के साथ वर्चुअल संवाद में कार्ययोजना पर चर्चा के दौरान उनकी इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि‘संघ का मुख्य एजेंडा हिन्दुत्व है। बढ़ रही धर्मांतरण की प्रवृत्ति देश और हिंदुत्व के लिए खतरा है। ईसाई मिशनरियां आदिवासी इलाकों में प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करा रही हैं। इसी प्रकार अन्य समुदाय भी धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। ध्यान रखने की बात है कि 500 साल पहले भारत में सिर्फ हिन्दू धर्म था।’ उन्होंने फिर कहा कि सभी जातियों के लोग हिन्दू हैं और यहां रहने वाले सभी मुसलमानों के पुरखे भी हिन्दू हैं इसलिए वे भी हिन्दू हैं। अभी 19 सितंबर को उदयपुर में प्रबुद्धजनों की गोष्ठी में उन्होंने यह तो कहा कि ‘निःस्वार्थ सेवा कार्य ही हिन्दुत्व है’, पर यह भी जोड़ा कि ‘हिन्दू राष्ट्र के परम वैभव में ही विश्व का कल्याण होगा।

Published: undefined

फिर, विजयादशमी पर नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शस्त्र पूजा के बाद भागवत ने कहा कि हमारी संस्कृति ही सबको अपनाने की है। हमको किसी को अपनाते समय डर नहीं लगना चाहिए लेकिन हम कमजोर हैं, इसलिए डर लगता है। हमको ताकतवर होना होगा। जो हाथ उठाए, उसका हाथ न रहे, इतना सामर्थ्य रहना चाहिए लेकिन सामर्थ्य का उपयोग कमजोरों की रक्षा के लिए होना चाहिए।

यह सोचने की बात है कि इस भाषा में कही गई बात के किस हिस्से का कौन क्या उपयोग करेगा?

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined