भारत मां के लाडले सपूत जी के विदेश में यह घोषणा करने की देर थी कि 'इंडिया इज मदर ऑफ आल डेमोक्रेसीज' सभी लोकतंत्रों की मम्मी जी को पता नहीं क्या हुआ कि उनके लोकतंत्र रूपी प्राणों का हरण हो गया। मम्मी जी के सपूत जी को कोई दुख-वुख नहीं हुआ। वैसे दुख तो हुआ मगर ट्विटरछाप हुआ, राष्ट्र के नाम संदेश ब्रांड हुआ। फिल्म ब्रांड, सिरियल ब्रांड हुआ! दुख तो इस किस्म का हुआ, मगर हर्ष वास्तविक हुआ। अब लोकतंत्र रूपी तोते की गर्दन पूरी तरह सपूत जी के हाथों में आ गई। बस मरोड़ने की देर है!
सुपुत्र जी ने स्वदेश लौटने तक इस खबर के लीक न होने देने के निर्देश दिए। वे चाहते थे कि अंतिम समय में मम्मी जी का सिर अपनी गोद में रखने का पोज देकर वह खुद भी अमर हो जाएं। इधर राष्ट्र के नाम संदेश में उनका संदेश प्रसारित होगा, उधर टीवी चैनलों पर इस पोज का वीडियो बार-बार दिखाया जाएगा। इस अवसर पर सपूत जी कौन सी ड्रेस पहनेंगे, कौन सा चश्मा, जूते किस विदेशी कंपनी और फैशन के होंगे, इसकी तैयारी रखने के निर्देश दिए गए। सपूत जी ने इस बीच शोक की विभिन्न मुद्राओं और शब्दों का सावधानीपूर्वक चयन किया।रिहर्सल की!
Published: undefined
राष्ट्र में इस खबर से शोक की लहर का दौड़ना अनिवार्य था। सपूत ने इस अवसर पर शांति और धैर्य की अपील करते हुए स्क्रिप्ट के अनुसार हिचकियां लीं, कंठ अवरुद्ध किया, साढ़े चार आंसू बहाए। इससे शोक की लहर तूफान बन गई। इसका लाभ लेते हुए सपूत जी ने समस्त पुरुषों-नारियों से बलिदानी भावना के साथ राजधानी आने की अपील जारी की।
उन्होंने कहा कि अधिक भीड़ के कारण लोग कुचलकर मरने की चिंता को तज कर जाएं। समझें कि लोकतंत्र की मम्मी जी की खातिर उन्होंने जीवन बलिदान दिया है। भीड़ को चीरती हुई, हूटर बजाती हुई थार जीपें उन्हें कुचलती हुई चली जाएं तो समझें, स्वर्ग के दरवाजे उनके लिए खुल चुके हैं। हर आदमी अपने को शहीद भगत सिंह का अवतार मानकर सिर पर कफन बांधकर आए। दुनिया को लगना चाहिए कि हम लोकतंत्र रूपी मम्मी जी की मृत्यु से कितने अधिक शोकग्रस्त हैं!
Published: undefined
बलिदानियों के परिजनों को प्रति व्यक्ति पचास हजार देने का निर्णय सरकार ले चुकी है, इसलिए कोई भी (मुझे छोड़कर) निश्चिंत होकर जीवन का बलिदान दे सकता है। उधर विपक्ष यह आरोप लगाता रह गया कि यह मृत्यु नहीं, लोकतंत्र की सुनियोजित हत्या है।
सपूत जी ने लोकतंत्र की मम्मी जी के अंतिम स़ंस्कार के समय अपने जोशीले भाषण में कहा- 'मित्रों, अभी तक मैंने बताया था कि मम्मी जी की मृत्यु हुई है। देश में शांति और व्यवस्था के हित में यही कहना उचित था, मगर सच वही है, जो विपक्ष ने कहा है। हां लोकतंत्र की मम्मी जी की सुनियोजित हत्या हुई है। आपको बताने की आवश्यकता है क्या कि यह किसने की है?
Published: undefined
इतना सुनना था कि सभी प्रकार के सरकार विरोधी समझ गए कि अब उनके अंतिम संस्कार की बारी भी आ चुकी है। खतरे को भांपकर वहां उपस्थित सभी विरोधी पलायन के लिए उद्यत हुए।कुछ को भीड़ ने वहीं घेरा और निबटा दिया। इस बहाने और भी जिसे निबटाना था, निबटा दिया गया। लोकतंत्र की मम्मी जी के अतियोग्य, योग्य, कम योग्य और अयोग्य पुत्र भी बच नहीं पाए।फ्री फार ऑल था। विपक्ष तथा सत्ता पक्ष का अंतर मिट गया!
इस प्रकार दुनिया के लोकतंत्र की मम्मी जी के अंतिम संस्कार का कार्यक्रम संपन्न हुआ। सपूत जी ने ट्विटर पर शांति की अपील करते हुए कहा कि हमारे लोकतंत्र की मम्मी जी के अंतिम संस्कार के समय जो हुआ, वह बताता है कि देश की जनता में बलिदान का जज्बा आज भी मौजूद है। मैं इस भावना का हृदय से सम्मान करता हूं। जब तक यह भावना बनी रहेगी, देश और लोकतंत्र मेरी तिजोरी में सुरक्षित रहेगा। अब मुझे विश्वास हो चला है कि जब भी लोगों से अपना बलिदान देने और दूसरों का बलिदान लेने के लिए कहा जाएगा, आप लोग पीछे नहीं हटेंगे!
मम्मी जी अमर रहें। लोकतंत्र अमर रहे!
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined