जैसे 2023 आया था और चला गया, वैसा ही अब 2024 के साथ भी होने वाला है। वह भी अब गया ही समझो। जब यह आया था तो खूब धूम-धड़ाका हुआ था, लोग दारू पी-पीकर औंधे हो रहे थे, डांस कर - करके पागल हो रहे थे। दारू की दुकानें दो घंटे में खाली हो चुकी थीं। होटलों में भी उतनी ही भीड़ थी, जितनी बाहर सड़कों पर थी मगर दो दिन बाद जब यह चला जाएगा तो मुहावरे में कहें तो कोई इसे पानी के लिए भी नहीं पूछेगा, कोई इसे विदा करने भी नहीं आएगा। 2024 आया था, तब वह उगता हुआ सूरज था। उसे सब प्रणाम कर रहे थे। अब वह डूबता हुआ सूरज है। परंपरा है कि डूबते सूरज को सलाम नहीं किया जाता, नमस्कार नहीं किया जाता, गुडबाई नहीं किया जाता! समझे कुछ भाइयो- बहनो वालो। तुम्हारा सूरज भी कभी भी ठीक इसी तरह डूब सकता है। तुम्हारा भी 2024 आ सकता है।
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एक साल बाद 2025 के साथ भी यही होनेवाला है। 2026, 2027 की भी यही नियति तय है। होते- होते 2047 भी आ जाएगा। उसके जाने से पहले 'विकसित भारत ' और मोदी जी को कोई ढूंढने न जाए। गारंटी से इन दोनों का कहीं पता नहीं चलेगा!
कोई शाह जी तब कहेंगे कि 2047 भी एक जुमला था। तो ये हुई संक्षेप में 'विकसित भारत' की मोदी- कथा। अब हम आनेवाले 2025 पर लौटते हैं। सबकुछ ठीक रहा तो मोदी जी जहां हैं, वहीं विराजमान रहेंगे मगर सबकुछ ठीक रहना अब पहले जितना आसान भी नहीं रहा। काफी कठिन हो चला है। लुटिया कब डूब जाए और कब डूबते- डूबते किस किनारे पहुंच कर, किसके हाथ लग जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता!
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फिर भी मान लो, सबकुछ ठीक रहा। मोदी जी ठीक रहे तो उनके परमप्रिय भाई से भी बढ़कर, मां से भी उच्च स्थानीय, माननीय अडानी जी की संपत्ति छलांग मारकर एक चौथाई और बढ़ जाएगी। मोदी जी-अडानी जी की संयुक्त कृपा अगर इसी प्रकार इसी देश पर बनी रही तो असंभव नहीं कि मुफ्त राशन पाने की योग्यता प्राप्त लोगों की संख्या बढ़कर 81 करोड़ से 82 करोड़ हो जाए! 'नये भारत के भाग्यविधाताओं' में इससे हर्ष की लहर दौड़ जाना स्वाभाविक है। उनकी नजर में यह विकास का अगला चरण है।'विकसित भारत' का अगला सोपान है। 'नये भारत 'को 'विकसित भारत' बनाने के लिए सरकार इसी तरह गरीबों की संख्या बढ़ाती रहेगी। गरीबों -अमीरों के बीच खाई चौड़ी करती रहेगी। दुनिया के सबसे बड़े पांच गरीब देशों -पाकिस्तान, इथियोपिया, नाइजीरिया तथा कांगो की कतार में अग्रिम पंक्ति में बैठाए रहेगी। एक तरफ कटोरा होगा, दूसरी तरफ विकसित भारत का नारा! एक ओर नये-नये अंबानी और अडानी पैदा होंगे, दूसरी तरफ जो गरीब नहीं थे, वे भी गरीब होते रहेंगे। गरीबों की तादाद बढ़ाते रहेंगे। दुनिया के लगभग आधे सबसे गरीब इस देश में होंगे और भारत के विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बनने का डंका बजता रहेगा। महंगाई जहां पहुंचना चाहेगी, उसे पहुंचने दिया जाएगा, उसका विकास रोकने के सारे प्रयास विफल किए जाएंगे। भारत को विकसित बनाने के लिए गोदी चैनल के जरिए हिंदुओं- मुसलमानों के बीच की दूरी को और, फिर और ,फिर और बढ़ाते रहा जाएगा। इस दिशा में पहले से अधिक मेहनत की जाएगी। हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढा जाएगा। एक तरफ वोट कबाड़ने के लिए प्रधानमंत्री क्रिसमस मनाने चर्च जाएंगे,उधर उनके हिंदुत्ववादी चेले ईसाइयों को उनकी चर्च में,एक दिन के किराए पर ली गई धर्मशाला में और यहां तक कि उनके अपने घर के अंदर भी यीशु को याद नहीं करने देंगे। कोई सांता क्लाज बनकर आएगा तो उसे धमकाया जाएगा। सरे राह उसके सांता क्लॉज वाले कपड़े उतरवाये जाएंगे। इसी तकनीक से, इस विधि से भारत को विकसित बनाया जाएगा। चीन की बराबरी में लाया जाएगा। हिंदू संस्कृति और देश का आगामी विकास इसी तरह से होगा!
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'विकसित भारत ' बनाने के लिए गांधी जी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम को दुत्कारा जाएगा। उसे किसी ने गाया तो उससे माफी मंगवाई जाएगी। मनुस्मृति का विरोध करनेवालों को गिरफ्तार किया जाएगा और अंबेडकर- अंबेडकर भी किया जाएगा। डालर को बाजार में 108 रुपए तक पहुंचने दिया जाएगा और दस साल में बड़े- बड़े सेठों को 12 लाख करोड़ जीमने का अवसर भी दिया जाएगा। वैश्विक मानव विकास सूचकांक में भारत 139 वें स्थान पर पहुंचने दिया जाएगा और गर्भवती औरतों तथा बच्चों के पोषण के बजट में कटौती भी की जाएगी। भारत को विकसित बनाने का यही मोदी मार्ग है। आइए इस पर चलें और दौड़ें और इतनी तेजी से दौड़ें की राह में कहीं बेहोश होकर गिर जाएं। आइए नया साल मनाएं।
और इस सबके बावजूद आप सबको नये वर्ष की शुभकामनाएं।
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