जानी मानी नारीवादी लेखिका और जनवादी आंदोलन की मजबूत आवाज कमला भसीन का आज 3 बजे सुबह निधन हो गया। कमला भसीन का निधन महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है।
Published: 25 Sep 2021, 10:23 AM IST
कमला भसीन का जन्म 24 अप्रैल 1946 को हुआ था था। नारीवादी कार्यकर्ता, कवि, लेखक और सामाजिक वैज्ञानिक के तौर पर जानी जाने वाली कमला भसीन ने महिलाओं के लिए 1970 से काम करना शुरू कर दिया था। कमला भसीन एक सामाजिक कार्यकर्ता थी, जो लैंगिक समानता, शिक्षा, गरीबी-उन्मूलन, मानवाधिकार और दक्षिण एशिया में शांति जैसे मुद्दों पर 1970 से लगातार सक्रिय थी।
Published: 25 Sep 2021, 10:23 AM IST
दिल्ली में रहने वाली भसीन अपने नारीवादी विचारों और एक्टिविज़्म के कारण जानी जाती थीं। उनकी पहचान नारीवादी सिद्धांतों को जमीनी कोशिशों से मिलाने वाले दक्षिण एशियाई नेटवर्क ‘संगत’ के संस्थापक के तौर पर भी है।
उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री ली और पश्चिमी जर्मनी के मंस्टर यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी ऑफ डेवलपमेंट की पढ़ाई की। 1976-2001 तक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने खुद को पूरी तरह से ‘संगत’ के कामों और जमीनी संघर्षों के लिए समर्पित कर दिया।
Published: 25 Sep 2021, 10:23 AM IST
भसीन ने पितृसत्ता और जेंडर पर काफी विस्तार से लिखा है। उनकी प्रकाशित रचनाओं का करीब 30 भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी प्रमुख रचनाओं में लाफिंग मैटर्स (2005; बिंदिया थापर के साथ सहलेखन), एक्सप्लोरिंग मैस्कुलैनिटी (2004), बॉर्डर्स एंड बाउंड्रीज: वुमेन इन इंडियाज़ पार्टिशन (1998, ऋतु मेनन के साथ सहलेखन), ह्वॉट इज़ पैट्रियार्की? (1993) और फेमिनिज़्म एंड इट्स रिलेवेंस इन साउथ एशिया (1986, निघत सईद खान के साथ सहलेखन) शामिल हैं।
Published: 25 Sep 2021, 10:23 AM IST
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Published: 25 Sep 2021, 10:23 AM IST