राजनीति

बिहारः बोचहां उपचुनाव को लेकर NDA से लेकर RJD तक उठापटक, प्रत्याशियों की 'छीनाझपटी' के बाद अब तस्वीर साफ

बोचहां उपचुनाव में एनडीए में दरार पैदा होने और नेताओं के दल बदलने से सुर भी बदलते दिखने लगे हैं। शुरूआती दौर में यह सीट उतनी महत्वपूर्ण और जटिल नहीं दिख रही थी, लेकिन समय के आगे बढ़ने के साथ ही यह सीट सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद खाली हुई बोचहां विधानसभा सीट पर उपचुनाव से पहले एनडीए से लेकर आरजेडी तक में भावी प्रत्याशियों की गजब की 'छीनाझपटी' देखने को मिली है। उठापटक के बाद अब उपचुनाव की तस्वीर साफ हो गई है।

वैसे, इस उपचुनाव में एनडीए में दरार पैदा होने और नेताओं के दल बदलने से सुर भी बदलते दिखने लगे हैं। शुरूआती दौर में यह सीट उतनी महत्वपूर्ण और जटिल नहीं दिख रही थी, लेकिन समय के आगे बढ़ने के साथ ही यह सीट सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है।

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पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट वीआईपी के खाते में आ गई थी, जहां से एनडीए प्रत्याशी मुसाफिर पासवान की जीत हुई थी। वीआईपी ने इसे सिटिंग सीट मानकर दावेदारी प्रारंभ कर दी। वीआईपी ने यहां से पूर्व विधायक मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान को चुनावी मैदान में उतारने की योजना बना ली थी। लेकिन वीआईपी और बीजेपी के बीच यूपी चुनाव के दौरान तकरार बढ़ी, जिससे बीजेपी के कई नेता बोचहा से प्रत्याशी उतारने की बात करने लगे।

इसी बीच बीजेपी ने पूर्व विधायक बेबी कुमारी के उम्मीदवारी की घोषणा कर सबको सकते में डाल दिया। घोषणा के साथ ही वीआईपी और बीजेपी के बीच कटुता और बढ़ती दिखाई देने लगी। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने लोगों के बीच मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान को बतौर उम्मीदवार उतारने का ऐलान तक कर दिया।

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लेकिन इस दौरान एनडीए से मुकेश सहनी की बढ़ती दूरी का एहसास कर अमर पासवान ने वीआईपी से दूरी बना ली। तभी आरजेडी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अमर को अपने दल में शामिल कर बोचहा से प्रत्याशी घोषित कर दिया। उनके पिता मुसाफिर पासवान लंबे समय तक आरजेडी में ही रहे थे और लालू प्रसाद के काफी करीबी माने जाते थे।

इधर, आरजेडी से अमर पासवान को टिकट मिल जाने के बाद बिहार के पूर्व मंत्री और कई बार के विधायक रमई राम नाराज हो गए। रमई राम आरजेडी से अपनी बेटी गीता कुमारी को बोचहा से उम्मीदवार बनाना चाहते थे। सोमवार को अचानक वीआईपी के संभावित उम्मीदवार के 'लालटेन' थाम लेने के बाद रमई राम की योजना असफल दिखाई देने लगी। इस बीच, सहनी ने रमई राम से संपर्क करने में देर नहीं की और रात में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर गीता कुमारी को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

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इस तरह प्रत्याशियों की छीनाझपटी के बाद राज्य के प्रमुख दलों के प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद इन सभी दलों ने अपने-अपने जीत के दावे किए हैं। मुकेश सहनी ने जहां बीजेपी के साथ दोस्ताना संघर्ष की बात करते हुए जीत का दावा किया है, वहीं पूर्व मंत्री रमई राम ने वीआईपी का दामन थामते ही आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को 'धोखा देने वाला' बता दिया।

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