उत्तर प्रदेश की खाली हुई 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो गई है, जिसके साथ ही इसे लेकर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश की जिन आठ सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 6 बीजेपी और 2 एसपी के पास थीं। हलांकि 403 सीटों की विधानसभा में उपचुनाव के नतीजे ज्यादा मायने नहीं रखते, फिर भी इस उपचुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के दावों का इम्तिहान होना है।
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उत्तर प्रदेश में आठ सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें से फिरोजाबाद की टुंडला सीट बीजेपी के एसपी सिंह बघेल के सांसद बनने के बाद खाली हुई है। लेकिन न्यायालय में विवाद लंबित होने के कारण यहां अब तक उपचुनाव नहीं हुआ। वहीं रामपुर की स्वार सीट से एसपी सांसद आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम की जन्मतिथि विवाद की वजह से उनकी सदस्यता रद्द होने के कारण वहां चुनाव होने हैं।
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इसी तरह उन्नाव की बांगरमऊ से बीजेपी के कुलदीप सिंह सेंगर जीते थे। उनकी सदस्यता उम्र कैद की सजा मिलने के कारण रद्द हो गई है। इसके अलावा जौनपुर के मल्हनी से एसपी के पारसनाथ यादव के निधन के कारण यह सीट खाली हुई। देवरिया सदर से बीजेपी विधायक जन्मेजय सिंह और बुलंदशहर से बीजेपी के वीरेंद्र सिरोही की सीट भी निधन के कारण खाली हुई है। वहीं कानपुर की घाटमपुर सीट बीजेपी की कमल रानी वरुण और अमरोहा की नौगावां सादात बीजेपी के चेतन चौहान के निधन से खाली हुई है।
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उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी का कहना है कि वैसे तो 403 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन यह एक बड़ा संदेश होगा। जिस प्रकार से वर्तमान समय में कोरोना संकट और जतिवादी राजनीति का मुद्दा गरमाया है। उपचुनाव सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों के लिए एक परीक्षा है।
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