लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जब अयोध्या के बजाए गोरखपुर सीट से टिकट दिया गया था तो विरोधियों ने डर कर भागने के साथ ही ‘घर वापसी’ का आरोप लगाया था। लेकिन अब जब चुनाव परिणाम सामने हैं तो यह साबित हो रहा है कि गोरखपुर से योगी का चुनाव लड़ना काफी हद तक गेम चेंजर रहा। गोरखपुर मंडल की 27 सीटों में 26 बीजेपी के उम्मीदवारों की जीत योगी के प्रभाव को साबित कर रही है। योगी इफेक्ट ही है कि चुनाव के ऐन पहले सपा में शामिल हुए भाजपा के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से 45 हजार से अधिक वोटों की करारी हार झेलनी पड़ी।
Published: 10 Mar 2022, 7:00 PM IST
गोरखपुर मंडल की 27 सीटों में से भाजपा को पिछली बार 23 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार भाजपा महराजगंज जिले की फरेंदा सीट को छोड़कर सभी पर जीतती दिख रही है। फरेंदा से कांग्रेस के वीरेन्द्र चौधरी ने भाजपा के बजरंग बहादुर सिंह को हराया है। गोरखपुर शहर सीट से योगी आदित्यनाथ अपने निकटम प्रतिद्धंदी सपा की सुभावती शुक्ला से एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीते हैं। योगी का प्रभाव ही है कि गोरखपुर ग्रामीण सीट पर भाजपा के विपिन सिंह सपा के विजय बहादुर यादव से आठ चक्र तक पीछे रहने के बाद भी हार गए। पिछली बार के प्रचंड लहर के बाद भी गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से बसपा के टिकट पर जीते विनय शंकर तिवारी इस बार भाजपा के राजेश तिवारी से हार गए। विनय शंकर बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। वरिष्ठ पत्रकार उमेश पाठक कहते हैं कि ‘गोरखपुर की सभी 9 सीटों पर एक पार्टी की जीत पहली बार संभव हुई है। गोरखपुर के लोगों ने भाजपा प्रत्याशियों को नहीं बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वोट किया है।’ योगी के प्रभाव के चलते ही संतकबीर नगर की घघसरा सीट छोड़कर गोरखपुर की खजनी सीट से उतरे प्रदेश सरकार में मंत्री श्रीराम चौहान को भी आसान जीत नसीब हुई है। देवरिया जिले में भाजपा के दो दिग्गज जीत हासिल किया है। प्रदेश सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही देवरिया के पथदेवा और जय प्रकाश निषाद रुद्रपुर से चुनाव जीतते दिख रहे हैं।
Published: 10 Mar 2022, 7:00 PM IST
योगी का जैसा असर गोरखपुर मंडल की सीटों पर दिखा वैसा असर बगल के बस्ती मंडल की 14 सीटों पर नहीं दिख रहा है। यहां भाजपा के दिग्गज कांटे की टक्कर में फंसे हैं। सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी सपा के माता प्रसाद पांडेय से चुनाव हार गए हैं। ये वही मंत्री हैं जिनके भाई ने महाविद्यालय में ईडब्ल्यूएस कोटे में नौकरी हासिल करने का कारनामा किया था। वहीं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह कड़े टक्कर में जीत हासिल करते दिख रहे हैं।
Published: 10 Mar 2022, 7:00 PM IST
निषाद पार्टी के प्रमुख डॉ.संजय निषाद और मुख्यमंत्री योगी की अनबन जगजाहिर है। लेकिन जातिगत वोटों के मजबूत आधार पर वह प्रमुख क्षत्रप बनकर उभरे हैं। उनके बेटे प्रवीण निषाद संतकबीर नगर से भाजपा के सांसद हैं हीं, अब छोटे बेटे सरवन निषाद भी चौरीचौरा से विधायक बन गए हैं। कैम्पियरगंज, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच और चौरीचौरा में निषादों के वोट निर्णायक हैं। निषाद वोटों को अपनी तरफ करने के लिए सपा, बसपा के साथ ही कांग्रेस ने भी पूरा जो लगाया था। लेकिन भाजपा गठबंधन की जीत ने डॉ.संजय निषाद के कद को बढ़ाया है।
Published: 10 Mar 2022, 7:00 PM IST
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Published: 10 Mar 2022, 7:00 PM IST