कोविड-19 से सतर्कता जरूरी, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं, विशेषज्ञों की राय

बीते दो दिनों से अचानक कोविड वायरस को लेकर एक किस्म का चिंताजनक माहौल दिखने लगा है। आनन-फानन कई बैठकें हुई हैं और लोगों को सतर्कता बरतने को कहा गया है। इस बारे में हमने विशेषज्ञों से बात की, उनका कहना है कि सतर्कता ठीकहै, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है।

फोटो: IANS
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ऐशलिन मैथ्यू

देश में बीते 24 घंटों के दौरान कोविड संक्रमण के 131 मामले सामने आए हैं या पंजीकृत हुए हैं, लेकिन फिर भी पड़ोसी मुल्क चीन में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं इसलिए एक किस्म का अलार्म जरूर बज रहा है। लेकिन, देश में वायरोलॉजिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में कोविड-19 मामलों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है।

माना जा रहा है कि चीन में बढ़ते मामलों का कारण कोविड का ओमिक्रॉन बीएफ.7 वेरिएंट है, लेकिन वायरस के इस वेरिएंट की गुजरात और ओडिशा में तो जुलाई और सितंबर में मौजूदगी सामने आई। इसके बाद भी इन दोनों राज्यों में कोविड-19 केसों की संख्या या संक्रमण में कोई तेजी नहीं आई है।

भारत में प्रभावी कोविड-19 का वेरिएंट एबी5 है जो इसके वेरिएंट बीएफ.7 से संबंधित है, लेकिन इनकी संख्या काफी सीमित है। अभी हाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जजो बैठक की उसमें उन्होंने बताया कि ओमिक्रॉन का बीएफ.7 वेरिएंट ही चीन में तेजी से संक्रमण फैलने का कारण है, पर साथ ही उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत में कोविड संक्रमण के मामलों में तेज कमी दर्ज की जा रही है और देश में प्रतिदिन संक्रमण की संख्या 19 दिसंबर को सिर्फ 158 थी।


इस विषय पर प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जैकब कहते हैं कि सिर्फ चिंता करने में कुछ खर्च तो होता नहीं है, लेकिन लोग सावधान रह सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन में जो कुछ हो रहा है भारत में वैसा होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, “ऐसा होने की संभावना नहीं है क्योंकि पहली बात तो यह कि यह ओमिक्रॉन वेरिएंट है और यह जान लेने वाला वेरिएंट नहीं है। ओमिक्रॉन से होने वाली मौतों की संख्या खासतौर से भारत जैसे राज्यों में काफी कम है क्योंकि हमारे यहां बुजुर्गों की संख्या काफी कम है। चीन में तो बीस फीसदी आबादी बुजुर्ग है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि भारत में यह समस्या कोई बड़ा रूप लेगी।”

इंडिनय काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सेंटर ऑफ एडवांसंड रिसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व निदेशक ने कहा कि चीन में कोविड का जो वेरिएंट है, वह भारत कुछ समय पहले से ही मौजूद है। उन्होंने कहा, ”ऐसा कोई नया वेरिएंट नहीं है जो भारत में चीन से आ सकता है। ग्लोबल कोविड डेटाबेस के मुताबिक चीन में कोविड की नई लहर नवंबर के मध्य में शुरु हुई, जो 10 दिसंबर को चरम पर पहुंची, लेकिन अब  वहां यह धीरे-धीरे नीचे आ रही है। चीन लंबे समय तक इस बात से इनकार करता रहा कि कोई समस्या है, लेकिन अचानक वहां एक लहर आ गई। लेकिन मुझे नहीं पता कि भारत में ऐसा पैनिक कौन फैला रहा है। सावधान रहना अच्छी बात है, लेकिन अचानक से इसे लेकर अत्याधिक सतर्क हो जाना महामारी की दृष्टि से तर्कशील नहीं है।”


वहीं सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटेड बायोलॉजी (IGBI) के वैज्ञानिक डॉ विनोद स्कारिया बताते हैं कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया सामान्यता की तरफ अग्रसर है, लोगों ने इससे काफी नुकसान उठाया और महामारी के दौरान मास्क, वैक्सीन, बूस्टर डोज, एंटीवायरल और संक्रमण की कई लहरों के बीच रहना सीख लिया है, चीन कई मामलों में अलग-थलग है।

डॉ सकारिया ने बताया कि, “एंटीवायरल इम्यूनिटी के संदर्भ में देखें तो इसका अर्थ था कि शुरुआत में ही वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया। यह वैक्सीन प्रतिरोधक क्षमता और बड़ी आबादी को वायरस से बचाने में बहुत अधिक सक्षम नहीं थे (और अब इनका इस्तेमाल भी तेजी से घटा है), और यह वैक्सीन ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचाव में भी उतने सक्षम नहीं थे और यह वेरिएंट वैक्सीन की सुरक्षा को तोड़ रहे थे।”

जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ के वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ ऊमन जॉन बताते हैं कि कोविड महामारी से अगर कोई सबक मिला है तो वह यह कि हमें कोई भी प्रतिक्रिया जल्दबाजी में नहीं करनी चाहिए। वे बताते हैं कि चूंकि चीन में आई लहर का कोई सीक्वेंसिंग डेटा नहीं है, ऐसे में हमें पता ही नहीं है कि नई लहर कोरोना वायरस की ही है या कोई और। भारत ने बीमारी की निगरानी की क्षमता और जीनोम सीक्वेंसिग के मामले में देश भर में अपनी क्षमता का विस्तार किया है। ऐसी स्थितियों में भारत में किसी भी संक्रमित बीमारी के खतरे से भारत को बचाया जा सकता है।

जेकब जॉन भी इस पर सवाल उठाते हैं कि क्या भारत निश्चित तौर पर पता है कि चीन में हो रही मौतें और श्मशानों के बाहर लग रही कतारें कोविड-19 से ही हुई हैं। वे कहते हैं, “चीन से आने वाली खबरों पर हम भरोसा नहीं कर सकते। इन खबरों के पीछे चीन के राजनीतिक निहितार्थ भी हो सकते हैं। लोगों को गुमराह करने के लिए चीन हमेशा से सच के साथ खिलवाड़ करता रहा है। हमें दिसंबर के आखिरी दिनों में कोरोनावायरस से डरने की कोई जरूरत नहीं है।”


लेकिन फिर भी वे कहते हैं कि दुनिया भर की स्थिति पर नजर रखते हुए भारत को सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि मास्क पहनना अच्छी बात होगी क्योंकि वैसे भी यह सर्दी-जुकाम वाला मौसम है। उन्होंने कहा, “इससे लोगों में घबराहट नहीं होगी। मेरा सुझाव है कि सभी अस्पताल परिसरों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए क्योंकि बाहर के मुकाबले अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या अस्पतालों में कहीं अधिक होती है।”

बता दें कि मार्च 2020 से लेकर भारत ने अधिकारिक तौर पर देश में कुल 4.4 करोड़ केस रिपोर्ट किए थे और इनमें से 5.3 लाख लोगों की मौत की बात मानी थी। वैसे स्वतंत्र पड़ताल में यह संख्या कहीं अधिक है। वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश में इस समय 3.401 एक्टिव केस हैं।

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