शेयर बाजार में आईपीओ लाने जा रही मोबिक्विक ने वित्त वर्ष 2024-25 (चालू वित्त वर्ष) की पहली तिमाही में 6.6 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है। वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में कंपनी को 3 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कंपनी ने 14 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया था। इससे पहले के वर्ष (वित्त वर्ष 2022-23) में कंपनी ने 83.8 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जून की अवधि में कंपनी की संचालन से आय 342.2 करोड़ रुपये रही है। अगर 3.5 करोड़ रुपये की अन्य आय को भी मिला दिया जाए तो समीक्षा अवधि के दौरान मोबिक्विक की कुल आय 345.8 करोड़ रुपये रही है।
कंपनी की परिचालन से आय वित्त वर्ष 2023-24 में 875 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022-23 में 539.5 करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में कंपनी द्वारा 343.6 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस दौरान कंपनी ने पेमेंट गेटवे पर 127.6 करोड़ रुपये, कर्मचारियों के फायदे के लिए 39.2 करोड़ रुपये और बिजनेस प्रमोशन के लिए 33.7 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसके अलावा अप्रैल से जून अवधि में कंपनी की लेंडिंग ऑपरेशनल लागत 93.4 करोड़ रुपये रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी का खर्च 853 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022-23 में 617 करोड़ रुपये था।
मोबिक्विक द्वारा बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास दाखिल किए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (आरएचपी) में आईपीओ का इश्यू घटाकर 572 करोड़ रुपये कर दिया गया है, यह पहले 700 करोड़ रुपये था। कंपनी का आईपीओ 11 दिसंबर से लेकर 13 दिसंबर तक आम निवेशकों के लिए खुलेगा। इसका प्राइस बैंड 265 रुपये से लेकर 279 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है।
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मारुति सुजुकी इंडिया ने जनवरी से अपने सभी वाहनों की कीमतों में चार प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने की शुक्रवार को घोषणा की। वाहन विनिर्माता ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कच्चे माल की बढ़ती लागत और परिचालन खर्चों के मद्देनजर कंपनी ने जनवरी 2025 से अपनी कारों की कीमतें बढ़ाने की योजना बनाई है। मूल्य वृद्धि चार प्रतिशत तक होने की उम्मीद है और यह मॉडल के आधार पर अलग-अलग होगी।
इसमें कहा गया, ‘‘ हालांकि कंपनी लगातार लागत को अनुकूलतम बनाने और अपने ग्राहकों पर प्रभाव को न्यूनतम करने का प्रयास करती है, लेकिन बढ़ी हुई लागत का कुछ हिस्सा बाजार पर डालना पड़ सकता है।’’ हुंदै मोटर इंडिया ने भी एक जनवरी से अपने वाहनों में 25,0000 रुपये तक की बढ़ोतरी की घोषणा की है। विभिन्न लग्जरी वाहन विनिर्माता मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी भी अगले महीने से वाहनों की कीमतें बढ़ाने की घोषणा कर चुके हैं।
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भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को पिछले पांच दिनों से जारी तेजी पर विराम लगा। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में प्रमुख सूचकांक बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंद हुए। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रखने लेकिन वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि अनुमान को घटाने के बाद बाजार में उतार-चढ़ाव आया। कारोबार के अंत में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 56.74 अंक यानी 0.07 प्रतिशत गिरकर 81,709.12 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 81,925.91 के ऊपरी स्तर और 81,506.19 के निचले स्तर को छुआ।
पिछले पांच कारोबारी दिनों में सेंसेक्स 2,722.12 अंक यानी 3.44 प्रतिशत उछला। एनएसई निफ्टी 30.60 अंक यानी 0.12 प्रतिशत गिरकर 24,677.80 पर बंद हुआ। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के जोखिम का हवाला देते हुए अपनी प्रमुख नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा, लेकिन बैंकों में पर्याप्त नकदी बनाये रखने के मकसद से नकद आरक्षित अनुपात में कटौती की। सेंसेक्स के शेयरों में अदाणी पोर्ट, भारती एयरटेल, एशियन पेंट्स, इंडसइंड बैंक, बजाज फिनसर्व, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट, एचडीएफसी बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और आईसीआईसीआई बैंक में गिरावट आई। दूसरी ओर टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, मारुति, लार्सन एंड टुब्रो, आईटीसी और टाटा स्टील नुकसान में रहे।
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर की अवधि में 77 टन गोल्ड खरीदा है। इसमें से करीब 27 टन गोल्ड केवल अक्टूबर में खरीदा गया है। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा संकलित आंकड़ों पर आधारित वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट में दी गई। डब्ल्यूजीसी ने कहा कि आरबीआई द्वारा 2024 के पहले 10 महीनों में खरीदा गया गोल्ड 2023 की समान अवधि की गई सोने की खरीद की तुलना में 5 गुणा अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक, आरबीआई का गोल्ड भंडार अब बढ़कर 882 टन हो गया है, जिसमें से 510 टन गोल्ड भारत में है।
डब्ल्यूजीसी के मुताबिक, उभरती अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों ने गोल्ड की खरीद में बाजार पर अपना वर्चस्व जारी रखा है। तुर्की और पोलैंड ने जनवरी-अक्टूबर 2024 तक अपने भंडार में क्रमशः 72 टन और 69 टन गोल्ड जोड़ा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि पूरे वर्ष में हुई शुद्ध गोल्ड खरीद में इन तीनों केंद्रीय बैंकों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत रही है। आरबीआई के साथ दुनिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा बड़ी मात्रा में गोल्ड खरीदने की वजह, इसे सुरक्षित संपत्ति माना जाना है। महंगाई और वैश्विक अस्थिरता के समय यह एक हेज के रूप में भी काम करता है।
केंद्रीय बैंक द्वारा अधिक मात्रा में गोल्ड खरीदने से सोने की कीमतों में भी बढ़त देखी जा रही है। रिजर्व बैंक ने इस साल की शुरुआत में यूनाइटेड किंगडम में बैंक वॉल्ट में रखे अपने 100 मीट्रिक टन गोल्ड को भारत में अपने वॉल्ट में स्थानांतरित कर दिया था, क्योंकि देश में पर्याप्त घरेलू भंडारण क्षमता थी। गोल्ड के भंडार को स्थानांतरित करने से ब्रिटेन में वॉल्ट के उपयोग के लिए भुगतान किए जाने वाले शुल्क की बचत होने की उम्मीद है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जून में कहा था, "हाल के वर्षों में, डेटा से पता चलता है कि रिजर्व बैंक अपने भंडार के हिस्से के रूप में गोल्ड खरीद रहा है। हमारे पास पर्याप्त घरेलू भंडारण क्षमता है। इस कारण देश के बाहर रिजर्व के हिस्से को देश के भीतर संग्रहीत करने का निर्णय लिया गया।"
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आरबीआई ने शुक्रवार को विदेशी मुद्रा गैर-निवासी बैंक जमा यानी एफसीएनआर (बी) जमा पर ब्याज दर की सीमा बढ़ा दी। इससे एनआरआई अपनी बचत पर अधिक कमाई कर सकेंगे। इस कदम का उद्देश्य ऐसे समय में अधिक विदेशी पूंजी आकर्षित करना है, जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे भारतीय रुपया दबाव में है। एफसीएनआर (बी) जमा ऐसे खाते हैं, जहां गैर-निवासी भारतीय (एनआरआई) अपनी कमाई को यूएसडी या जीबीपी जैसी विदेशी मुद्राओं में रख सकते हैं, जिससे उन्हें विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिलती है।
आरबीआई ने एक बयान में कहा, "अधिक पूंजी प्रवाह को आकर्षित करने के लिए, आरबीआई ने एफसीएनआर (बी) जमाराशियों पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा बढ़ाने का फैसला किया है। 6 दिसंबर, 2024 से बैंकों को 1 से 3 वर्ष से कम की परिपक्वता अवधि वाली नई एफसीएनआर (बी) जमाराशियों को 400 बीपीएस एआरआर प्लस से कम दरों पर जुटाने की अनुमति है। यह छूट 31 मार्च, 2025 तक उपलब्ध रहेगी।" आरबीआई के एक बयान के अनुसार, अब तक एफसीएनआर (बी) जमाराशियों पर ब्याज दरें संबंधित मुद्रा/स्वैप के लिए ओवरनाइट अल्टरनेटिव रेफरेंस रेट (एआरआर) प्लस 1 से लेकर 3 वर्ष से कम की परिपक्वता अवधि वाली जमाराशियों के लिए 250 आधार अंक की अधिकतम सीमा के अधीन थीं। इसी तरह, 3 से 5 वर्ष तक की परिपक्वता अवधि वाली जमाराशियों के लिए ओवरनाइट एआरआर प्लस 350 आधार अंक की अधिकतम सीमा के अधीन थीं। बैंकों को अब सभी अवधियों में उच्च ब्याज देने की अनुमति दी गई है।
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