अर्थतंत्र

मोदी सरकार में चरमराया इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर, सैकड़ों प्रोजेक्‍ट लटके, अर्थव्यवस्था को खरबों रुपये का नुकसान

इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की एक रिपोर्ट से पता चला है कि देश में इस समय सैकड़ों की संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन प्रोजेक्ट्स के लटकने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान हुआ है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

केंद्र की सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देश में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की बातें कर बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं। दावा है कि मोदी सरकार इस दिशा में काफी प्रयास कर रही है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की एक अहम रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में इस समय बहुच बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं और इनकी संख्या सैकड़ों में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन प्रोजेक्ट्स के लटकने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान हुआ है, क्येंकि देरी की वजह से इन प्रोजेक्ट्स की लागत में करीब 33 अरब रुपए की बढ़ोत्तरी हो गई है।

प्रॉपर्टी कंसल्टेंट ‘अनारॉक’ और ‘एसोसिएशन ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री’ द्वारा ‘इंफ्रास्ट्रक्चर एंड रियल स्टेटः ए फुलक्रम फॉर चेंज एंड इकोनॉमिक ग्रोथ’ नाम से जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, इस समय देश में चल रहे 1420 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से 369 काफी देरी से चल रहे हैं। जबकि इसके अलावा 366 दूसरे प्रोजेक्ट अपने समय से काफी पीछे हैं या लटके हुए हैं। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में देरी की वजह से इनकी लागत में करीब 33 अरब रुपए की बढ़ोत्तरी हो गई है, जोकि सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था को झटका है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का हाल इसी बात से समझा जा सकता है कि इस समय चल रहे कुल 1420 प्रोजेक्ट्स में से 366 औसतन 46 महीने की देरी से चल रहे हैं, जिसका सीधा असर इनकी लागत पर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत को साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की लक्ष्य को पाना है तो सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट क्षेत्र की विकास दर को बढ़ाना होगा। अगर सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाना चाहती है तो उसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की तरफ ध्यान देना होगा। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर इस क्षेत्र के प्रति इसी तरह की उदासीनता बनी रही तो, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र अपनी चमक खो सकता है।

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