अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नीतिगत दर में कटौती नहीं करने को लेकर फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की तीखी आलोचना की है। इससे अमेरिकी केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
इस बीच, अमेरिका का उच्चतम न्यायालय एक ऐसे मामले पर विचार कर रहा है, जिससे ट्रंप के लिए पॉवेल को बर्खास्त करना आसान हो सकता है। ये घटनाक्रम ट्रंप के विभिन्न देशों पर शुल्क लगाने की घोषणा के बाद अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों में व्यापक उथल-पुथल के बीच हो रहे हैं। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों को चिंता है कि फेडरल रिजर्व की लंबे समय से चली आ रही स्वतंत्रता पर हमला, बाजारों को और बाधित करेगा।
ट्रंप ने बृहस्पतिवार को प्रमुख ब्याज दर में तेजी से कटौती नहीं करने के लिए फेडरल रिजर्व की आलोचना की और कहा कि उनके पास पॉवेल को हटाने की शक्ति है।
राष्ट्रपति ने कहा, ''अगर मैं उन्हें बाहर करना चाहता हूं, तो वह बहुत जल्दी बाहर हो जाएंगे, मेरा भरोसा कीजिए।'' ट्रंप ने साथ ही जोड़ा, ''मैं उनसे खुश नहीं हूं।''
अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव है। फेड ब्याज दरों को कम करके उधार लेना सस्ता बना सकता है और अधिक खर्च को प्रोत्साहित कर सकता है। जब अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो ऐसा किया जाता है। इसके विपरीत जब अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित तेजी आ जाती है, तो ब्याज दरों को बढ़ाया जाता है।
पॉवेल को हटाने का प्रयास किया गया तो इससे शेयर बाजारों में गिरावट आ सकती है और बॉन्ड प्रतिफल बढ़ सकता है। इसलिए अधिकांश निवेशक एक स्वतंत्र केंद्रीय बैंक को पसंद करते हैं।
हालांकि पॉवेल का कहना है कि फेडरल रिजर्व की स्थापना करने वाला कानून राष्ट्रपति को किसी विशेष कारण के अलावा उन्हें निकालने की अनुमति नहीं देता है।
ज्यादातर कानून के जानकार मानते हैं कि ट्रंप उन्हें फेडरल रिजर्व के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से नहीं निकाल सकते हैं, हालांकि कुछ का मानना है कि उन्हें चेयरमैन पद से हटाया जा सकता है।
Published: undefined
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि बैंक केंद्रीय बैंक को सूचना दिये बिना अपनी विदेशी शाखाओं या प्रतिनिधियों के नाम पर रुपया खाते (ब्याज रहित) खोल/बंद कर सकते हैं।
हालांकि, शीर्ष बैंक ने जमा और खाते पर जारी ‘मास्टर’ निर्देश में कहा कि पाकिस्तान के बाहर संचालित पाकिस्तानी बैंकों की शाखाओं के नाम पर रुपया खाते खोलने के लिए रिजर्व बैंक की विशेष मंजूरी की आवश्यकता होगी।
इसमें कहा गया है कि एक प्रवासी बैंक के खाते में जमा करना प्रवासियों को भुगतान की एक स्वीकृत तरीका है और इसलिए, यह विदेशी मुद्रा में हस्तांतरण पर लागू नियमों के अधीन है।
आरबीआई ने कहा कि एक प्रवासी बैंक के खाते से निकासी वास्तव में विदेशी मुद्रा का प्रेषण है।
प्रवासी बैंकों के खातों के वित्तपोषण पर, आरबीआई ने कहा कि बैंक भारत में अपनी वास्तविक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने खातों में राशि रखने को लेकर अपने विदेशी प्रतिनिधियों/शाखाओं से चालू बाजार दरों पर स्वतंत्र रूप से विदेशी मुद्रा खरीद सकते हैं।
हालांकि, खातों में लेन-देन पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विदेशी बैंक भारतीय रुपये पर सट्टा लगाने वाला नजरिया न अपनाएं। ऐसे किसी भी मामले की सूचना रिजर्व बैंक को दी जानी चाहिए।
Published: undefined
पिछले चार कारोबारी सत्रों में शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में छह प्रतिशत से अधिक की तेजी आई है। अमेरिका के शुल्क पर अस्थायी रोक, विदेशी निवेशकों की घरेलू बाजार में वापसी और दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश की भविष्यवाणी के कारण बाजार बढ़त में रहा है।
इसके अलावा, बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति के लगभग छह वर्ष के निचले स्तर पर पहुंचने से भी नीतिगत दर में और कटौती की उम्मीद बढ़ी है।
पिछले चार कारोबारी दिनों में बीएसई सूचकांक 4,706.05 अंक यानी 6.37 प्रतिशत बढ़ा जबकि एनएसई निफ्टी में 1,452.5 अंक यानी 6.48 प्रतिशत की तेजी रही।
इसके साथ, पिछले चार दिन में निवेशकों की संपत्ति 25.77 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 4,19,60,046.14 करोड़ रुपये (4,900 अरब डॉलर) हो गई। शुक्रवार को ‘गुड फ्राइडे’ के कारण शेयर बाजार बंद हैं।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के अनुसंधान एवं परामर्श के सहायक उपाध्यक्ष विष्णु कांत उपाध्याय के अनुसार, विदेशी कोष प्रवाह, अमेरिका के शुल्क पर अस्थायी रोक तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उदार मौद्रिक नीति रुख अपनाने जैसे कई कारकों ने वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के बावजूद भारतीय बाजारों में तेजी को बढ़ावा दिया है।
उपाध्याय ने कहा, “पिछले तीन कारोबारी सत्रों में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने लंबे समय तक बिकवाली के बाद एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य के भारतीय शेयर खरीदे हैं। इसके अलावा, अमेरिका के शुल्क पर अस्थायी रोक की घोषणा और दोनों देशों के साथ संभावित बातचीत से भी धारणा को बढ़ावा मिला।”
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, नौ अप्रैल को आरबीआई के ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती तथा इसके रुख को ‘तटस्थ’ से ‘उदार’ में बदलने से धारणा मजबूत हुई है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined