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माखनलाल विश्वविद्यालय के पैसे से खरीदी जाती थी शराब, जांच में खुला ‘शिव’राज का एक और घोटाला

भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में जारी गड़बड़ियों पर राज्य की पिछली शिवराज सरकार के दौरान शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। सत्ता बदलने के बाद अब शिकायतों को गंभीरता से लिया गया और जांच में साफ हुआ कि कई स्तरों पर गड़बड़ियां चल रही थी।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार जाने के बाद से उनके कार्यकाल के दौरान हुए तमाम घोटाले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। इस क्रम में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (एमसीएनयूजेसी) का भी नाम जुड़ गया है। प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट से पता चलता है कि माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला ने अपने कार्यकाल के दौरान जमकर पैसे का दुरुपयोग किया।

उन्होंने विश्वविद्यालय के पैसे से महंगी विदेशी शराब मंगाई और अपनी पत्नी की विदेश यात्रा को स्पांसर तक कराया। कुठियाला साल 2003 से 2018 तक विश्वविद्यालय के वीसी रहे। राज्य की कांग्रेस सरकार ने इन आरोपों के बाद जांच समिति गठित की थी कि विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम और शैक्षिक गतिविधियों के जरिये एक खास तरह की विचारधारा का प्रचार कर रहा है और इसके अलावा नियुक्ति से लेकर नए केंद्र खोलने तक में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है।

चालीस पन्नों की रिपोर्ट से खुलासा होता है कि वीसी कुठालिया ने विश्वविद्यालय के पैसे से महंगी विदेशी रेड वाइन शराब मंगाई जिसकी कीमत 3,000 से 5,000 के बीच है। रिपोर्ट के मुताबिक वीसी ने अपने कार्यकाल के दौरान सैकड़ों बोतल शराब मंगाई। इसके अलावा कुठियाला ने अपनी पत्नी की लंदन यात्रा भी विश्वविद्यालय से स्पांसर करवाई थी। हालांकि जब विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इस पर आपत्ति की तो उन्होंने यात्रा से जुड़े बिल का भुगतान कर दिया। बी के कुठियाला दिसंबर 2012 से लेकर दिसंबर 2018 तक माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति थे।

जंच समिति के सदस्यों में से एक, भूपेंद्र गुप्ता ने इन तथ्यों की पुष्टि करते हुए कहा, “हमें पड़ताल में भारी अनियमतता का पता चला। विश्वविद्यालय के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नियुक्तिऔर नए केंद्र खोलने में जमकर भ्रष्टाचार किया गया।” जांच समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जनसंपर्क विभाग के मुख्य सचिव को सौंपी है।

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छात्रों ने शिकायत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में कंप्यूटर लैब, स्टूडियो, बेंच जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। मास कम्युनिकेशन के अंतिम वर्ष के छात्र सुलभ तिवारी (बदला हुआ नाम) ने कहा, “विश्वविद्यालय में बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं। यहां तक कि लाइब्रेरी में पुस्तक तक नहीं थी और वीसी महंगी शराब खरीदने में जुटे थे। यह तो शर्मनाक है।”

मिला जानकारी के अनुसार कुलपति रहने के दौरान बी के कुठियाला ने एक व्यक्ति की नियुक्ति सिर्फ इसलिए करवाई थी कि वह उन्हें रोजाना पाकिस्तानी अखबारों को पढ़कर बताए। जांच समिति ने यह भी पाया कि साल 2003 से ही वीसी नियम-कानूनों का उल्लंघन करते हुए आरएसएस से जुड़े लोगों की नियुक्ति करते रहे थे।

जांच समिति ने पाया कि नए केंद्रों को खोलने के मामले में भी जमकर धांधली हुई। स्टडी सेंटर के निदेशक दीपक शर्मा ने बीजेपी और संघ कार्यकर्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए 2016 से 2018 के बीच 600 नए केंद्र खोलने की अनुमति दी। हालत यह है कि अकेले भोपाल में 109 स्टडी सेंटर खोल दिए गए जबकि यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक केंद्र वैसी ही जगह पर खोला जा सकता है जहां आबादी 25 हजार से अधिक हो। नए केंद्र दो-दो कमरे के परिसर में चलाए जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ने हाल ही में ग्वालियर और बरवानी में चल रहे तीन केंद्रों को बंद करने का फैसला किया।

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