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बिहार विधानसभा चुनाव : बीजेपी को इस बार कम सीटों से करना होगा संतोष, जेडीयू-एलजेपी में तकरार से एनडीए की बढ़ी टेंशन

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में उतरने के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। बदले हुए हालात में बीजेपी को इस बार सीट बंटवारे में कम सीटों से संतोष करना पड़ सकता है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में उतरने के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। बदले हुए हालात में बीजेपी को इस बार सीट बंटवारे में कम सीटों से संतोष करना पड़ सकता है।

बिहार के दोनों गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी दल के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी तक समझौता नहीं हुआ है, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि पिछले चुनाव की तुलना में इस बार चुनाव के परिदृश्य बदलने के बाद सीट बंटवारे को लेकर किसी दल को घाटा उठाना पड़ेगा तो किसी को इसका लाभ भी मिल सकता है।

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एनडीए की बात करें तो बीजेपी को इस बार पिछले चुनाव की तुलना में कम सीटें मिलनी तय है। पिछले चुनाव में महागठबंधन में जहां जनता दल-युनाइटेड (जेडीयू), आरजेडी और कांग्रेस साथ थे, वहीं एनडीए में बीजेपी के साथ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) साथ थे। इस बार बदली हुई परिस्थिति में रालोसपा जहां महागठबांन के साथ हो गई है, वहीं जेडीयू एनडीए के साथ है और 'हम' ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है।

पिछले चुनाव में बीजेपी 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि इस बार बीजेपी को इतनी सीटें मिलनी मुश्किल है। यही कारण है कि बीजेपी में टिकट के दावेदार पटना से लेकर दिल्ली तक में अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं। पार्टी नेता भी इसे सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं।

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पार्टी के एक नेता कहते हैं, "ये सच है कि इस चुनाव में पिछले चुनाव से सीटें कम मिलेंगी। इस चुनाव में जेडीयू एनडीए के साथ है। इस कारण पिछले चुनाव में जिन्हें टिकट मिला हो इस चुनाव में उन्हें टिकट मिल ही जाए, यह जरूरी नहीं है।" बीजेपी के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल भी कहते हैं, "2015 में जो चुनाव लड़ चुके हैं, उनको इस बार टिकट मिल ही जाए, इसकी संभावना कम है। खासकर वे सीटें जहां जेडीयू के सिटिंग विधायक हैं।"

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उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि कई क्षेत्रों में सामाजिक समीककरण के बदलाव को देखते हुए कुछ सिटिंग विधायकों के भी पत्ते कट सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को कई सिटिंग सीटें छोड़नी पड़ी थीं।

इधर, सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' के एनडीए में आने के बाद इन्हें भी हिस्सा देना होगा। वैसे, एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान की जेडीयू से नाराजगी को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

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