लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अक्टूबर-नवम्बर में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है। पार्टी कार्यकारिणी ने रविवार को फैसला लिया कि वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं बल्कि अकेले बिहार के मतदाताओं का सामना करेगी।
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लोक जनशक्ति पार्टी की संसदीय बोर्ड की आज हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि बिहार में एलजेपी अकेले चुनाव लड़ेगी। यानी कि विधानसभा चुनाव में एलजेपी एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी। लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि एलजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेगी। एलजेपी ने बीजेपी सरकार का प्रस्ताव पारित किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि एलजेपी के सभी विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मज़बूत करेंगे। एलजेपी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी यह अभी तय नहीं हुआ है लेकिन वह जेडीयू के हर उम्मीदवार के खिलाफ अपने उमीदवार खड़े करेगी। चिराग पासवान ने कहा है कि जीत हमारी होगी।
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एक साल से बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के माध्यम से उठाए गए मुद्दों पर एलजेपी पीछे हटने को तैयार नहीं है। केंद्रीय संसदीय बोर्ड ने सर्वसहमति से बीजेपी सरकार का प्रस्ताव पारित किया। बिहार में चुनाव के बाद एलजेपी के सभी विधायक बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनाएंगे। बीजेपी-एलजेपी में कटुता नहीं है। जेडीयू और एलजेपी में वैचारिक मतभेद है।
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लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' दृष्टि पत्र के लिए शनिवार को लोगों का ‘‘आशीर्वाद'' मांगा था। यह दस्तावेज इस बारे में संकेत दे रहा था कि पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तहत राज्य विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकती है।
कहा जा रहा है कि एलजेपी बिहार में 143 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। ऐसी खबर है कि एलजेपी बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। लेकिन पार्टी की जेडीयू को हराने के लिए हर संभव कोशिश रहेगी।
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