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अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और पैसे जुटाने के लिए पी चिदंबरम ने दिए कई अहम सुझाव, मानेगी मोदी सरकार?

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने रविवार को सरकार को नसीहत दी है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाए जिससे कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सके। बता दें कि देश की जीडीपी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में माइनस 24 प्रतिशत तक गिर गई है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने रविवार को सरकार को नसीहत दी है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाए जिससे कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सके। बता दें कि देश की जीडीपी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में माइनस 24 प्रतिशत तक गिर गई है।

Published: 06 Sep 2020, 4:58 PM IST

कई सारे ट्वीट के जरिए चिदम्बरम ने कहा, अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मांग बढ़ाना जरूरी है। 50 फीसदी गरीब परिवारों को कैश ट्रांसफर करना जरूरी है। इतना ही नहीं, मुफ्त अनाज बांटने के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना भी जरूरी है।

Published: 06 Sep 2020, 4:58 PM IST

उन्होंने कहा कि गोदामों में पड़े अनाज का उपयोग भुगतान करने में भी किया जा सकता है। लोक निर्माण कार्य पर इस तरह से खर्च करने पर बैंक की वित्तीय स्थिति सुधरेगी और वो ज्यादा से ज्यादा कर्ज दे सकेंगे।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को फिर से जीवित करने के लिए पैसे की जरूरत पड़ेगी। सरकार को इसके लिए कर्ज लेना पड़ेगा।

Published: 06 Sep 2020, 4:58 PM IST

चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘मांग और खपत को प्रोत्साहित करने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिये कुछ ऐसे ठोस कदम उठाये जा सकते हैं, सबसे गरीब 50 प्रतिशत परिवारों को कुछ नकदी हस्तांतरित करें। ऐसे सभी परिवारों को खाद्यान्न दें, जिन्हें इसकी आवश्यकता है। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च बढ़ायें। खाद्यान्न भंडार का वस्तु के रूप में मजदूरी भुगतान में उपयोग करें। बड़े सार्वजनिक निर्माण कार्य शुरू करें। बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करें ताकि वे अधिक उधार दे सकें और राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान करें।'' उन्होंने कहा, ‘‘इन सबों को पैसे की जरूरत होगी। कर्ज लें। संकोच न करें।''

Published: 06 Sep 2020, 4:58 PM IST

चिदंबरम ने सुझाव दिया, ‘‘धन जुटाने के कुछ ठोस कदम इस प्रकार के हो सकते हैं। एफआरबीएम के प्रावधानों को सरल करें और इस साल अधिक कर्ज उठायें। विनिवेश को तेज करें। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्वबैंक, एशियाई विकास बैंक आदि की 6.5 अरब डॉलर की पेशकश का इस्तेमाल करें। अंतिम उपाय के तौर पर राजकोषीय घाटे का मौद्रीकरण करें।"

आईएएनएस के इनपुट के साथ

Published: 06 Sep 2020, 4:58 PM IST

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Published: 06 Sep 2020, 4:58 PM IST