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मोदी सरकार में लगातार जनहित योजनाओं के बजट में हुई कटौती, लोकसभा चुनाव में देना होगा जवाब

मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल के हर बजट में जनहित और कृषि से जुड़ी कई अहम योजनाओं के राशि आवंटन में लगातार भारी कटौती की गई है। कमजोर वर्ग के सशक्तिकरण और किसानों के लिए शुरू योजनाओं में इस तरह बड़े पैमाने पर कटौती का लोकसभा चुनाव में सरकार को जवाब देना होगा।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

मोदी सरकार प्रायः खेती का परंपरागत ज्ञान बचाने की बात करती है और इसके लिए परंपरागत कृषि विकास योजना नाम से एक विशेष योजना भी शुरू की गई। लेकिन मोदी राज में इस योजना ने अपनी भी एक परंपरा बना ली है कि हर साल इसके घोषित बजट में कटौती होती है।

साल 2015-16 का इसका बजट अनुमान 300 करोड़ रुपए था, लेकिन इसके लिए 219 करोड़ रुपए खर्च हुए। साल 2016-17 का इसका बजट अनुमान 297 करोड़ रुपए था, लेकिन मात्र 153 करोड़ रुपए वास्तव में खर्च किये गए। 2017-18 में मूल बजट अनुमान 350 करोड़ रुपए का था, लेकिन बड़ी कटौती कर मात्र 203 करोड़ रुपए खर्च किए गए। साल 2018-19 में बजट अनुमान 360 करोड़ रुपए था। बाद के संशोधित अनुमान में इसे 300 करोड़ रुपए कर दिया गया। वास्तव में कितना खर्च किया गया, इसका आंकड़ा अभी उपलब्ध नहीं है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक अन्य प्रमुख योजना है जो कई मंत्रालयों में बंटी हुई है। इन सभी को जोड़कर देखा जाए तो साल 2018-19 में इस योजना का बजट अनुमान 9690 करोड़ रुपए था जिसे संशोधित अनुमान में कम कर 8408 करोड़ रुपए कर दिया गया।

इसी तरह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का 2018-19 में बजट अनुमान 1691 करोड़ रुपए था जो बाद में सिमट कर संशोधित अनुमान में 1510 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। राष्ट्रीय बागवानी (होर्टीकल्चर) मिशन का साल 2018-19 का बजट अनुमान 2536 करोड़ रुपए था, जो बाद में सिमट कर 2100 करोड़ रुपए पर पहुंचा दिया गया।

विकेन्द्रित और ऑफ-ग्रिड शाश्वत ऊर्जा की स्कीम दूर-दूर के गांवों के लिए विशेष उपयोगी है। इसका साल 2018-19 में बजट अनुमान 1037 करोड़ रुपए था। इसे बाद में संशोधित अनुमान में 940 करोड़ रुपए तक सिमटा दिया गया।

इस तरह अनेक महत्त्वपूर्ण योजनाओं और स्कीमों में बाद में कटौती की गई। मातृत्व लाभ की ‘मातृ वंदना योजना’ के लिए साल 2018-19 के बजट में 2400 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई, लेकिन बाद में इसमें बहुत भारी कटौती कर मात्र 1200 करोड़ रुपए कर दिया गया।

इसी तरह महिला शक्ति केन्द्र के लिए साल 2018-19 के मूल बजट में 267 करोड़ रुपए का प्रावधान था जिसे बाद में भारी कटौती कर मात्र 115 करोड़ रूपए कर दिया गया। बच्चों की देखभाल के लिए चलने वाली राष्ट्रीय क्रेच स्कीम के लिए 128 करोड़ रूपए का प्रावधान था। इसे मात्र 30 करोड़ रुपए कर दिया गया।

इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल के हर बजट में जनहित और कृषि से जुड़ी कई महत्त्वपूर्ण योजनाओं के लिए राशि आवंटन में लगातार भारी कटौती की गई है। कमजोर वर्ग के सशक्तिकरण और किसानों को संबल देने के लिए शुरू की गई योजनाओं में इस तरह बड़े पैमाने पर कटौती करना कहीं से उचित नहीं है।

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