कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को केंद्र सरकार से राज्यों को करों (टैक्स) के पैसों के आवंटन में 16वें वित्त आयोग के मानदंड को बदलने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कर्नाटक के टॉप कांग्रेस नेताओं ने बुधवार को करों के हस्तांतरण में राज्य के साथ हुए अन्याय को लेकर केंद्र के खिलाफ नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।
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इस दौरान सीएम ने अपने संबोधन में 2014 से राज्य को हुए 1.87 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार से करने की जरूरत पर जोर दिया। सीएम ने कहा, ''मैं यह मांग कर्नाटक के सात करोड़ लोगों की ओर से कर रहा हूं। यह ऐतिहासिक विरोध किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह बीजेपी के खिलाफ नहीं है। इसलिए मैंने बीजेपी विधायकों और सांसदों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पत्र लिखा है। हालांकि मुझे उनके आने की उम्मीद थी, लेकिन वे नहीं आए।''
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उन्होंने कहा, ''हम भारत सरकार द्वारा कर्नाटक राज्य और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के खिलाफ भेदभाव का मुद्दा उठा रहे हैं। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना हमारा कर्तव्य है। हम संघीय ढांचे को कमजोर करने की वकालत नहीं कर रहे हैं।''
टैक्सों के हस्तांतरण के तहत, कर्नाटक को शुरुआत में 4.71 प्रतिशत हिस्सा दिया गया था, जो बाद में घटकर 3.64 प्रतिशत हो गया। इस कटौती के कारण टैक्स हस्तांतरण में राज्य को 1.07 प्रतिशत की हानि हुई, जो कि 62,098 करोड़ रुपये थी।
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सीएम ने सवाल किया, ''क्या हमें इस अन्याय का विरोध नहीं करना चाहिए? 15वें वित्त आयोग ने 2011 की जनगणना पर विचार किया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को संबोधित करते हुए, सिद्दारमैया ने वित्त आयोग को एक स्वायत्त निकाय बताते हुए उनके इस दावे का खंडन किया कि राज्यों को टैक्सों के हस्तांतरण में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
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सिद्दारमैया ने बताया कि सीतारमण ने कर्नाटक के लिए आयोग द्वारा अनुशंसित 11,495 करोड़ रुपये के मुआवजे पैकेज को अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने सवाल किया, ''आपने इनकार क्यों किया? आख़िरकार, वह राज्यसभा में कर्नाटक का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।''
जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के बाद कर्नाटक कांग्रेस नेता नई दिल्ली में एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पहुंचे।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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