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NPR को लेकर चिदंबरम का केंद्र पर हमला, कहा- ये मोदी सरकार का खतरनाक एजेंडा

चिदंबरम ने कहा, “अगर BJP के इरादे नेक हैं, तो सरकार को बिना किसी शर्त के यह बात कहनी चाहिए कि वे 2010 के एनपीआर फॉर्म और डिजाइन का समर्थन करते हैं और इसका विवादास्पद एनआरसी से जुड़ने का कोई इरादा नहीं है।”

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

देश में एनआरसी और सीएए को लेकर बवाल अभी तक शांत भी नहीं हुआ था कि केंद्र ने एनपीआर को भी मंजूरी दे दी। साल 2010 में लागू एनपीआर और मौजूदा एनपीआर के अंतर को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने BJP पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “NPR ने साल 2011 की जनगणना में सहायता की थी, इसमें NRC का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।”

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चिदंबरम ने आगे कहा, “BJP की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के पास एक बड़ा और अधिक भयावह एजेंडा है और यही कारण है कि कल उनके द्वारा पारित किया गया NPR TEXT के साथ-साथ NPR 2010 के संदर्भ में बहुत ही खतरनाक और अलग है।”

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उन्होंने कहा, “अगर BJP के इरादे नेक हैं, तो सरकार को बिना किसी शर्त के यह बात कहनी चाहिए कि वे 2010 के एनपीआर फॉर्म और डिजाइन का समर्थन करते हैं और इसका विवादास्पद एनआरसी से जुड़ने का कोई इरादा नहीं है।”

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NRC और NPR के अंतर को समझाते हुए कांग्रेस नेता अजय माकन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि NPR के लिए किसी नागरिक के माता-पिता की जन्मतिथी या जन्मस्थान की ज़रूरत नहीं है। अगर कोई शख्स पिछले 6 महीने एक दिन से किसी स्थान पर रहा है या अगले 6 महीने तक उसी स्थान पर रहने की मंशा रखता है तो उसे सामान्य निवासी माना जाएगा। उन्होंने कहा था कि मौजूदा समय में एनपीआर केंद्र सरकार की तरफ से एनआरसी की ओर उठाया गया पहला कदम है।

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अजय माकन ने स्पष्ट बताया था कि मौजूदा एनपीआर और पिछले एनपीआर में जमीन आसमान का फर्क है। उन्होंने एनपीआर के जारी 2010 के फार्मेट और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे 2020 के एनपीआर फार्मेट को सामने रखते हुए बताया कि नए फार्मेट में जो बातें पूछी जा रही हैं या पूछने की मंशा है उसका एनपीआर से न तो कोई लेना देना है और न ही इसकी जरूरत है।

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उन्होंने बताया कि एनपीआर देश के साधारण नागरिकों का रजिस्टर है, जिसकी परिभाषा संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय की गई है। इसके तहत ऐसा साधारण व्यक्ति जो किसी स्थान पर बीते 6 महीने एक दिन से रह रहा है और आने वाले 6 महीने के लिए उसी स्थान पर रहने की मंशा जताता है, तो उसका ब्योरा एनपीआर में दर्ज होना चाहिए। इसमें व्यक्ति का नाम, जन्मतिथि, लिंग, शैक्षणिक योग्यता जैसी साधारण जानकारियां दर्ज होनी होती हैं।

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पूर्व गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने बताया कि मौजूदा सरकार के एनपीआर का फार्मेट जो कुछ अखबारों में प्रकाशित हुआ और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसके मुताबिक ऐसी जानकारियां एनपीआर के नाम पर मांगी जा रही हैं, जिनका एनपीआर से संबंध नहीं है और जो निजता का भी उल्लंघन करती हैं।

उन्होंने बताया कि नए फार्मेट को लेकर सरकारी स्तर पर कोई खंडन सामने नहीं आया है। नए फार्मेट में बुनियादी जानकारियों के अलावा नागरिक के माता-पिता की जन्मतिथि और जन्म के स्थान की जानकारी मांगी जाएगी। इसके अलावा इससे पहले कहां रहते थे, वह जानकारी देनी होगी। साथ ही आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर कार्ड नंबर और मोबाइल नंबर भी देना होगा। अजय माकन ने बताया कि कुल मिलाकर एनपीआर 2020 को एनआरसी भी माना जा सकता है।

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