दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक किसान महापंचायत में बीजेपी पर बड़ा हमाल बोला है। उन्होंने कहा कि लाल किले का पूरा कांड बीजेपी की सरकार ने कराया और जिन्होंने झंडे फहराए वो इनके अपने कार्यकर्ता थे। उन्होंने कहा कि हमने शुरू से ही इस आंदोलन में हिस्सा लिया। केजरीवाल ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा, "केंद्र सरकार ने प्लानिंग बनाई कि दिल्ली में आ जाने दो, फिर जेल में डाल देंगे। केंद्र सरकार ने मेरे पास फाइल भेजी कि दिल्ली के 9 बड़े स्टेडियम को जेल बनाना है।"
सीएम केजरीवाल ने कहा, "किस्मत अच्छी है कि जेल बनाने का अधिकार मेरे पास है, इनको फाइल मेरे पास भेजनी पड़ी। पहले प्यार से कहा फिर धमकी दी कि फाइल क्लियर कर दो, हमने इन्हें जेल नहीं बनाने दी। मुझे पता था कि ये सबको जेल में डाल देंगे। आंदोलन खत्म करने के लिए।"
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सीएम केजरीवाल ने तीनों कृषि कानून को डेथ वारंट बताया। केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए ये कानून पास कराया है। इस कानून के चलते सबकी खेती इन पूंजीपतियों के हाथ में चली जाएगी।
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अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जबसे किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आकर बैठे हैं, हमारी पार्टी और सरकार की तरफ से हम तन मन धन से उनकी सेवा कर रहे हैं। पानी टॉयलेट वाईफाई की व्यवस्था करने में हम पूरी मदद कर रहे हैं। 28 जनवरी की रात को जो कुछ हमने टीवी पर देखा उस पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमारे देश के महान किसान नेता बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के सुपुत्र राकेश टिकैत जो किसानों के लिए अपना शरीर गला रहे थे, और सरकार ने उनके साथ जो व्यवहार किया उनकी आंखों से आंसू निकल आए। मुझसे ये नहीं देखा गया।
उन्होंने कहा, "आज हमारे देश का किसान बहुत ज़्यादा पीड़ा में है। 3 महीने से ज़्यादा हो गए। कड़कती ठंड में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर अपने परिवार, अपने बच्चों के साथ बैठा हुआ है। किसी को मजा नहीं आता ऐसे धरना करने में। 250 लोग शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही।
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केजरीवाल ने कहा कि अगर सही दाम मिल जाते तो किसान को आत्महत्या नहीं करनी पड़ती। सभी पार्टियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "हर पार्टी चुनाव के पहले वादा करती है कि कर्ज़ माफ कर देंगे। 25 साल में साढ़े 3 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं, ये कोई छोटी बात नहीं है। किसानों की अब जिंदगी और मौत की लड़ाई हो गई है। ये तीनों कानून किसानों के डेथ वारंट हैं।"
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