कोरोना की दूसरी लहर से भारत में तबाही जारी है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में नए मामलों में थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन पीक पर जाने के बाद इस लहर का नीचे आना पहली लहर के मुकाबले एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है। जानकारों की मानें तो दूसरी लहर का असर कम होने में काफी समय लग सकता है। जाने-माने वायरलॉजिस्ट शाहिद जमील ने मंगलवार को कहा कि कोरोना की मौजूदा लहर का असर जुलाई तक बना रह सकता है। गौरतलब है कि भारत में इस सप्ताह लगातार तकरीबन साढ़े तीन लाख मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
Published: 12 May 2021, 2:47 PM IST
एक और जानकार ने भी दूसरी लहर के बारे में कुछ अच्छा नहीं कहा है। त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंस और अशोका यूनिवर्सिटी के निदेशक ने भारत में कोरोना की दूसरी लहर पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, 'भारत में कोरोना के विस्फोट के लिए कोरोना के नए वेरिएंट्स भी आंशिक रूप से जिम्मेदार हो सकते हैं। हालांकि कोरोना के म्यूटेंट वर्जन ज्यादा घातक हैं, इस बात के अभी तक संकेत नहीं मिले हैं।'
Published: 12 May 2021, 2:47 PM IST
दरअसल इंडियन एक्सप्रेस ने एक ऑनलाइन ईवेंट आयोजित की थी, जिसमें बोलते हुए जमील ने कहा कि ये कहना अभी जल्दबाजी होगी कि भारत में कोरोना पीक पर है। उन्होंने कहा, 'कोरोना की दूसरी लहर में मामले भले ही अब बढ़ नहीं रहे हैं, लेकिन पीक पर जाने के बाद भी ये इतनी आसानी से नीचे नहीं आने वाली है। इस लहर का प्रभाव जुलाई तक रहने की आशंका है। इसका मतलब हुआ कि अगर अगर ये लहर नीचे आना शुरू हो जाए तो भी हम रोजोना संक्रमितों की बड़ी संख्या देखेंगे।'
Published: 12 May 2021, 2:47 PM IST
उन्होंने कहा कि कोरोना के मामले नीचे आने के दौरान हम हर प्वॉइंट पर काफी ज्यादा मामले देखेंगे। उन्होंने दावा किया कि भारत में सामने आ रहा मृत्य दर का डेटा पूरी तरह से गलत है। वे किसी व्यक्ति, समूह या राज्य के आधार पर डेटा कलेक्ट करने के डिजाइन को गलत नहीं मानते हैं, बल्कि डेटा रिकॉर्ड करने के तरीके से नाखुश हैं।
Published: 12 May 2021, 2:47 PM IST
जमील ने कहा कि महामारी के बीच चुनावी रैलियों और धार्मिक आयोजनों की वजह से भी दूसरी लहर में मामले ज्यादा तेजी से बढ़े हैं। वैक्सीन कवरेज को लेकर भी उन्होंने चिंता जाहिर की है। उन्होंने बताया कि जनवरी और फरवरी में जब हमारे पर अवसर था तब पर्याप्त लोग वैक्सीनेट नहीं हो पाए। मार्च के तीसरे सप्ताह में जब मामले बढ़ना शुरू हुए तब तक शायद हम शायद 2 प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीनेट कर पाए थे।
Published: 12 May 2021, 2:47 PM IST
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Published: 12 May 2021, 2:47 PM IST